काठबंगला ग्राउंड रिपोर्ट: धूप की तपिश के बीच सूखे हलक को तर करने की जद्दोजहद

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ख़बर रफ़्तार, देहरादून: भले ही पानी के संकट की सबसे ज्यादा तस्वीरें देश की राजधानी दिल्ली से आ रही हों, लेकिन उत्तराखंड में भी पेयजल संकट कम नहीं है. हालत ये है कि जहां पहाड़ी जिलों में पानी की लाइनें पहले ही शो-पीस बन चुकी है तो वहीं अब राजधानी देहरादून में भी प्यास बुझाना लोगों के लिए चुनौती बन रहा है. ईटीवी भारत की टीम काठबंगला इलाके की ऐसी ही कुछ तस्वीरें साझा कर रही है.

राजधानी देहरादून का काठबंगला इलाका हाईप्रोफाइल हाउसिंग सोसाइटीज और सहस्त्रधारा हेलीपैड के नजदीक है. वैसे तो इस इलाके को सुविधा संपन्न क्षेत्र में गिना जाता है लेकिन पेयजल के मामले में यहां मौजूद बस्ती की स्थिति इससे ठीक उलट है. सुबह और शाम के वक्त हैंडपंप ही बस्ती वासियों का एकमात्र सहारा बना हुआ है.

ऐसा नहीं है कि राजधानी की इस बस्ती में पानी की लाइन न पहुंची हो. घरों में पाइप लाइन भी है और नल भी लेकिन नहीं है तो सिर्फ पीने का पानी. बस्ती वासियों की ये समस्या कोई नई नहीं है. हर साल गर्मियां आते ही हालात एक जैसे हो जाते हैं और गर्मियां आने के बाद ही पेयजल संकट के समाधान को लेकर संबंधित विभाग को इसकी याद आती है.

पेयजल संकट की स्थिति को इस बात से समझा जा सकता है कि 4000 की आबादी वाले इस क्षेत्र में एक या दो हैंडपंप ही मौजूद हैं. वहीं घरों तक जाने वाली पानी की पाइपलाइन सूखी पड़ी है. वैसे लगातार हो रही शिकायत के बाद ये कोशिश की गई थी कि इस क्षेत्र में एक ट्यूबवेल लगा लिया जाए लेकिन ट्यूबवेल के लिए क्षेत्र में जब बोरिंग की गई तो पता चला कि 350 फीट से ज्यादा बोरिंग करने के बावजूद पानी ही मौजूद नहीं है.

बस्ती में आए दिन पानी को लेकर झगड़े हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि हैंडपंप पर लोगों का दबाव बेहद ज्यादा बढ़ गया है और पानी के लिए अब तो लड़ाई भी होने लगी है. वैसे पानी की समस्या उत्तराखंड के लिए भी कोई नई नहीं है. पर्वतीय जनपद तो हमेशा ही पानी की परेशानी से गर्मियों में जूझते रहे हैं. लेकिन इस क्षेत्र में समस्या ये है कि पहाड़ों पर अंडरग्राउंड वॉटर बेहद नीचे चला गया है, ऐसे में बोरिंग के जरिए पानी निकालना मुमकिन नहीं है.

राजधानी समेत पूरे प्रदेश में इस बार बारिश बेहद कम हुई है. तापमान काफी ज्यादा होने के कारण पानी की उपलब्धता कम हुई है. करीब पिछले दो महीने से राज्य में कहीं भी ठीक से बारिश रिकॉर्ड नहीं हुई है. नतीजा ये रहा कि आसमान से तेज धूप के साथ तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है. इस तरह बढ़ते तापमान ने लोगों को गर्मी का एहसास कराया है तो जल संकट ने लोगों के हलक सुखा दिए हैं.

राजधानी देहरादून की ही बात करें तो यहां पर जल संस्थान को पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. करीब 400 बस्तियां ऐसी हैं जो राज्य भर में पेयजल संकट से गुजर रही हैं. राजधानी में भी ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए यहां पानी के टैंकर से पेयजल आपूर्ति हो रही है. बस्ती के लोगों का कहना है कि क्षेत्र में शिकायत के बावजूद भी कोई भी हल नहीं निकाला गया है.

काठबंगला बस्ती देहरादून की कोई एकमात्र पेयजल संकट से गुजर रही बस्ती नहीं है बल्कि राजपूर क्षेत्र के कई मोहल्ले, आईटी पार्क क्षेत्र और सहस्त्रधारा इलाका भी कुछ ऐसी ही समस्या से गुजर रहा है. देहरादून को 50 लाख लीटर पानी से ज्यादा की आपूर्ति में बाधा पैदा हो रही है.

बात केवल बारिश न होने तक ही सीमित नहीं है बल्कि राज्य भर में वाटर रिचार्ज ठीक से न होने के कारण भी अंडरग्राउंड वाटर की स्थिति सुधर नहीं पा रही है. बड़ी बात तो ये है कि अंडरग्राउंड वॉटर को लेकर सरकार के पास कोई ठोस रणनीति या नीति भी नहीं है. नतीजा ये हो रहा है कि अंडरग्राउंड वाटर का बेवजह दोहन किया जा रहा है.

देहरादून की तमाम बस्तियों में जल संस्थान की तरफ से पहले दो टाइम पानी की आपूर्ति करवाई जाती थी, लेकिन अब पानी की कमी होने के बाद एक समय ही पानी लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है.

स्थानीय लोगों में आक्रोश: काठबंगला क्षेत्र में लोगों का आक्रोश बेहद ज्यादा है और अब लोग अपने जनप्रतिनिधियों को लेकर भी नाराजगी जता रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके विधायक के रूप में गणेश जोशी क्षेत्र से चुनकर भेजे गए हैं और वो सरकार में मंत्री भी हैं लेकिन कोई भी उनकी समस्या को देखने के लिए नहीं आता. आज एक बड़ी आबादी बिना पानी के रह रही है और पानी के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है, इसके बावजूद कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था यहां पर नहीं दी जा रही है. ऐसा भी नहीं है कि इस क्षेत्र में पहली बार इस तरह पानी की कमी हुई हो हर बार गर्मी में इसी तरह के हालात बनते हैं, लेकिन गर्मियां निकल जाती हैं और शासन और प्रशासन भी उनकी समस्याओं को भूल जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी: जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह कहते हैं कि देहरादून शहर में इस वक्त पानी की बेहद ज्यादा किल्लत है और पहले जल संस्थान क्षेत्र में दो टाइम पानी की आपूर्ति कर रहा था, लेकिन अब पानी नहीं मिलने के कारण केवल एक ही समय आपूर्ति की जा रही है. जिन क्षेत्रों में पानी नहीं है वहां पर टैंकर का सहारा लिया जा रहा है. ऐसी स्थिति इसलिए हुई है क्योंकि गर्मी बेहद ज्यादा पड़ रही है और बारिश न होने के कारण जल स्रोत में पानी नहीं मिल रहा है.

कांग्रेस पूछ रही सवाल: देहरादून ही नहीं बल्कि समूचे प्रदेश में पेयजल की समस्या उत्पन्न होने के बाद कांग्रेस पार्टी का कहना है कि पूरे प्रदेश में जल संकट गहराता जा रहा है, और इसकी वजह से लोगों को पीने का पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है. प्रदेश के दूर दराज के क्षेत्रों में पानी की समस्या बनी हुई है. उसी तरह देहरादून के कई इलाकों में लोगों को इस भीषण गर्मी में पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि जब लोग गहरी निद्रा में सोए हुए होते हैं उस वक्त आधी रात को पानी की सप्लाई दी जा रही है, लेकिन जब तक पानी भरने के लिए आंख खुलती है तब पानी आना बंद हो जाता है. इसके अलावा बिजली कटौती और लो वोल्टेज के कारण भी जल संस्थान के ट्यूबवेल चल नहीं पा रहे हैं, इससे लोगों को नियमित रूप से पेयजल की सप्लाई भी नहीं मिल पा रही है. उन्होंने इसे सिस्टम की लापरवाही बताया है, और कहा कि सरकार को समय रहते पेयजल सिस्टम पर काम कर लेना चाहिए था ताकि इस तरह की नौबत नहीं आती और लोगों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता. कांग्रेस का कहना है कि यह स्थिति कैसे सुधरेगी इस पर सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आ पा रहा है.

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