ख़बर रफ़्तार, देहरादून: प्रदेश में तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में पहचान रखने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को इस लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को इसका आधार मान रही है। बसपा को विधानसभा चुनाव में 4.9 प्रतिशत मत मिले थे।
साथ ही एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को भी पार्टी अपने पक्ष में मानकर चल रही है। वहीं, कांग्रेस का मानना है कि इस चुनाव में सपा और आम आदमी पार्टी का आइएनडीआइ गठबंधन में शामिल होने का लाभ उसे मिलेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 3.3 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि सपा का लगभग एक प्रतिशत वोट बैंक कांग्रेस अपना मान कर चल रही है।
कांग्रेस और भाजपा के बीच सिमटता रहा मुकाबला
प्रदेश में लोकसभा चुनावों में मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच सिमटता रहा है। शेष अन्य दल इसमें अपनी उपस्थित दर्ज नहीं करा सके हैं। वैसे वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट इसका अपवाद है। तब सपा ने यह सीट कब्जाई थी। वहीं, बसपा का विधानसभा चुनावों में तो प्रदर्शन खासा अच्छा रहा है लेकिन लोकसभा चुनाव जीतना उसके लिए दूर की कौड़ी साबित हुआ है।
इस बार बसपा ने दो लोकसभा सीटों हरिद्वार व नैनीताल-ऊधम सिंह नगर में मुस्लिम कार्ड खेला है। इसमें से भी बसपा को अधिक उम्मीदें हरिद्वार सीट से हैं। दरअसल, वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने दो सीटों पर कब्जा किया। ये दोनों सीटें हरिद्वार लोकसभा सीट के अंतर्गत हैं। इसके साथ ही इसी हरिद्वार लोकसभा सीट की दो विधानसभा सीटों पर बसपा दूसरे और छह सीटों पर तीसरे स्थान पर रही।
इन सीटों पर नजर डालें तो इस चुनाव में बसपा के कब्जे वाली लक्सर विधानसभा सीट पर 72 प्रतिशत और मंगलौर विधानसभा सीट पर 64 प्रतिशत मतदान हुआ है। बसपा भगवानपुर व खानपुर में दूसरे नंबर पर रही। यहां क्रमश: 71 प्रतिशत और 69 प्रतिशत मतदान हुआ है।
यही कारण है कि बसपा इन सभी समीकरणों को अपने पक्ष मान रही है। पार्टी ने इस चुनाव में हरिद्वार से मुस्लिम प्रत्याशी व उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक जमील अहमद को मैदान में उतारा है। ऐसे में बसपा मुस्लिम मतदाताओं को भी अपने पक्ष में मान कर चल रही है।
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