ख़बर रफ़्तार, नैनीताल: बुधवार को हुई सुनवाई पर याचिकर्ता ने कोर्ट में कहा कि 15 जून के बाद मानसून सत्र शुरू होने वाला है. अभी तक प्रशासन ने पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया है. इसकी वजह से बाढ़ प्रभावित लोग दोबारा इससे प्रभावित न हों, इसलिए मानसून सत्र प्रारंभ होने से पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का कार्य पूर्ण किया जाए.
इस सम्बंध में समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने नंधौर नदी सहित गौला, कोसी, गंगा, दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनका अभी तक चैनलाइजेशन नहीं करने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव को लेकर उच्च न्यायलय के पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने हेतु जनहित याचिका भी दायर की है. जो उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. इसमें 21 सितंबर को सुनवाई होनी है.
पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता को जो पूर्व में आरटीआई के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराई गई थी, उसका सत्यापन करके उसकी प्रति उसको उपलब्ध कराएं. साथ में यह भी कहा था कि उस पर राज्य सरकार ने अभी तक क्या निर्णय लिया, इसकी प्रति याचिकाकर्ता को भी उपलब्ध कराएं. जो उन्हें 9 मई को महाधिवक्ता कार्यालय से उपलब्ध कराई गई. उपलब्ध कराई गई सूचना से स्पष्ट हो गया कि वन विभाग के द्वारा 1 जनवरी 2023 से 5 मई 2024 तक कोई रिवरड्रेजिंग का कार्य किया ही नहीं गया. जबकि उनके द्वारा अपनी जनहित याचिका में कहा गया है कि 15 जून के बाद रेनी सीजन शुरू हो जाएगा. लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन शीघ्र कराया जाये. ताकि पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से न हो. पूर्व के आदेशों का पालन कराने हेतु उनके द्वारा सम्बंधित विभागों से पत्र व्यवहार हुआ, लेकिन आज की तिथि तक कोई भी कार्य बाढ़ से बचाव हेतु नहीं किया गया. राज्य सरकार को फिर से निर्देश दिए जायें कि मानसून सत्र प्रारम्भ होने से पहले पूर्व के आदेशों का पालन कराया जाये, न कि मानसून सत्र समाप्त होने के बाद.
पिछले साल बारिश में नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई थीं. नदियों के चैनलाइज नहीं होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया था. जिसकी वजह से उधमसिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. बाढ़ से कई पुल बह गए. आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही थी. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलवा को नहीं हटाया है. जबकि पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर डीएम नैनीताल व डीएम हरिद्वार के विरुद्ध अवमानना याचिका भी कोर्ट में विचाराधीन है, जिसमें सितंबर माह में सुनवाई होनी है. उसके बाद भी कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हुआ है.
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