
खबर रफ़्तार ,देहरादून :उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की ओर से पूर्व में आयोजित आठ परीक्षाओं की तकनीकी जांच पूर्व आइएएस अधिकारी एसएस रावत की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी करेगी।
कमेटी के दो अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के एडवोकेट जनरल बीके माहेश्वरी व आइटीडीए के विशेषज्ञ संजय माथुर शामिल हैं। टीम एक पखवाड़े में जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपेंगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद आयोग इन परीक्षाओं पर अंतिम निर्णय लेगा।
इसकी पुष्टि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव सुरेंद्र सिंह रावत ने की है। आयोग की बोर्ड बैठक 18 अक्टूबर को अध्यक्ष जीएस मार्तोलिया की अध्यक्षता में मुख्यालय में हुई थी। बैठक में आयोग के सचिव एसएस रावत, सदस्य विनोद चंद्र रावत व डा.प्रकाश थपलियाल मौजूद रहे थे।
आयोग की ओर से पूर्व में आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में धांधली की एसटीएफ और विजिलेंस जांच कर रही है। आयोग की ओर से संपन्न अन्य आठ परीक्षाओं में से चार के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं।
इन परीक्षाओं की शुचिता पर अभी तक कोई सवाल नहीं उठे हैं, लेकिन परीक्षा उसी कंपनी ने करवाई, जो अन्य परीक्षाओं में नकल और धांधली में शामिल रही है। बैठक में निर्णय लिया गया है कि पूर्व में आयोजित आठ परीक्षाओं की जांच कराई जाएगी।
अभ्यर्थियों कर रहे विरोध
आयोग ने आठ परीक्षाओं की गोपनीयता पर संदेह व्यक्त करते हुए निरस्त करने की सरकार से सिफारिश की थी। ये पूर्व में निरस्त की गई परीक्षाओं के अतिरिक्त हैं।
आयोग के सचिव एसएस रावत की ओर से सचिव कार्मिक को भेजे गए पत्र में कहा गया कि सात परीक्षाओं में विवादित भर्ती एजेंसी आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस लिमिटेड की भूमिका रही है। जबकि व्यैक्तिक सहायक की परीक्षा आनलाइन एनएससीईआरटी ने कराई थी, लेकिन इसमें भी ज्यादातर सफल अभ्यर्थी एक ही जिले के हैं, इसलिए इस परीक्षा पर भी संदेह हो रहा है।
रावत ने पत्र में लिखा कि आरएमएस टेक्नोसाल्यूशंस के मालिक और कई कार्मिक पेपर लीक मामले को लेकर जेल में बंद हैं, इसलिए एजेंसी की ओर से कराई गई परीक्षा का परिणाम जारी करना संदेह के घेरे में रहेगा। आयोग की इस सिफारिश का एलटी चयनित अभ्यर्थियों व कनिष्ठ सहायकों ने विरोध शुरू कर दिया है।
इन परीक्षाओं के परिणाम नहीं हुए घोषित
- विभाग, पद
- एलटी, 1431
- कनिष्ठ सहायक, 746
- व्यैक्तिक सहायक, 660
- मुख्य आरक्षी दूरसंचार, 272
- पुलिस रैंकर्स, 250
- वाहन चालक, 164
- कर्मशाला अनुदेशक, 157
- मत्स्य निरीक्षक, 26
नौ को एक-एक लाख के मुचलके पर जमानत, पांच की याचिका खारिज
पेपर लीक प्रकरण में जेल में बंद नौ आरोपितों को कोर्ट से जमानत मिल गई है। इनमें गैंग का सदस्य चंदन मनराल भी शामिल है। आरोपितों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है। जबकि, पांच अन्य आरोपितों की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। अब तक इस मामले में जेल में बंद 18 आरोपितों को जमानत मिली है। जबकि, हाकम सिंह समेत 23 आरोपित जेल में बंद हैं।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक करने और नकल कराने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कुल 41 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनमें से 18 के विरुद्ध गैंगस्टर के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जेल में बंद नौ आरोपितों को दीपावली से पूर्व जमानत मिल चुकी है।
जबकि, सूर्यवीर सिंह चौहान, कुलबीर सिंह, अंबरीश कुमार, राजवीर, दीपक चौहान, अजीत चौहान, विनोद जोशी, चंदन मनराल, जगदीश गोस्वामी, अमित सक्सेना, अभिषेक वर्मा, ललित राज शर्मा, विपिन बिहारी और तनुज शर्मा ने भी जमानत के लिए अर्जी लगाई थी।
शुक्रवार को अपर जिला जज चतुर्थ आशुतोष मिश्रा की अदालत ने सूर्यवीर सिंह चौहान, कुलवीर सिंह, अंबरीश कुमार, राजवीर, दीपक चौहान, अजीत चौहान, विनोद जोशी, चंदन मनराल और जगदीश गोस्वामी की जमानत मंजूर कर दी है। अदालत ने शर्त रखी है कि जमानत पर रिहा होने क बाद ये आरोपित देश से बाहर नहीं जा सकते हैं।
अदालत ने उक्त आरोपितों के प्रकरण से जुड़े दस्तावेजों और जांच को प्रभावित न कर सकने को ध्यान में रखते हुए जमानत दी है। जबकि, अन्य पांच की जमानत खारिज कर दी गई है। जिनमें अमित सक्सेना, अभिषेक वर्मा, ललित राज शर्मा, विपिन बिहारी और तनुज शर्मा शामिल हैं।
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