खबर रफ़्तार, मंगलौर: रुड़की के लहबोली गांव में ईंट भट्ठे की दीवार गिरने से छह की मौत के मामले में बुधवार को उदलहेड़ी गांव निवासी मृतक मुकुल के पिता ने भट्ठे स्वामी और मुंशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, जिलाधिकारी ने घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश रुड़की के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को दिए हैं।
भट्ठे स्वामी ने मृतकों के स्वजन को साढ़े तीन लाख रुपये और सरकार की ओर से दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की थी। घायलों को 50-50 हजार रुपये दिए गए। घटना के बाद मृतक मुकुल के पिता सुभाष निवासी ग्राम उदलहेड़ी ने सानवी ब्रिक फील्ड के स्वामी रेशु मलिक निवासी महावीर चौक मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश और भट्ठे के मुंशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
ईट-भट्ठे पर पसरा रहा सन्नाटा
बुधवार को पूरे दिन ईट-भट्ठे पर सन्नाटा पसरा रहा। भट्ठे के आफिस के बाहर रोजाना की तरह लगने वाली भीड़ नदारद रही। भट्ठे पर काम करने वाले श्रमिकों में दूसरे दिन भी भय का माहौल रहा। इसी तरह का माहौल आसपास के अन्य ईंट भट्ठों पर भी देखा गया।
दो बेटों की मौत के बाद स्वजन ने घर छोड़ा
लहबोली स्थित ईंट भट्ठे पर हुए हादसे के बाद से महबूब ने पलायन कर दिया है। अब उसने यहां पर नहीं आने की बात कही है। भरे मन से रोते-बिलखते हुए वह परिवार सहित यहां से चला गया। मंगलवार को लहबोली गांव के पास ईंट भट्ठे की दीवार गिर गई थी।
दीवार के नीचे दबकर छह मजदूरों की मौत हो गई थी। जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिनका रुड़की के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है और हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। वहीं, इस हादसे में अपने दो जवान बेटों साबिर और समीर को खोने वाले गांव मिमलाना जिला मुजफ्फरनगर निवासी महबूब हादसे के बाद से गुमसुम हैं। लहबोली निवासी खुर्शीद ने बताया महबूब ने अब ईंट भट्ठे पर काम करने से इन्कार कर दिया है।
ईंट भट्ठों पर जोखिम उठाकर काम कर रहे मजदूर
रुड़की और आसपास के क्षेत्र में संचालित हो रहे ईंट भट्ठों पर मानकों का पालन नहीं हो रहा है। कई ईंट भट्ठों पर मजदूर जान जोखिम में डालकर काम करने को बेबस हैं। वहीं, अधिकारी भी इस तरफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मंगलवार सुबह लहबोली में हुए हादसे के बाद अब अन्य भट्ठों पर काम करने वाले मजदूर काफी दहशत में है। उन्हें अब काम करते समय अपनी चिंता सताने लगी है। रुड़की, मंगलौर, नारसन, भगवानपुर, कलियर समेत अन्य जगहों पर करीब 350 से अधिक ईंट भट्ठे संचालित हैं। अधिकांश ईंट भट्ठों पर मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई खास बंदोबस्त नहीं है।
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