खबर रफ़्तार, नैनीताल: हाई कोर्ट ने देहरादून के विकासनगर कालसी क्षेत्र देहरादून में साल के 174 पेड़ काटे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने विपक्षी संख्या 10 अर्चना भार्गव से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान अर्चना कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुई। उन्होंने कोर्ट में कहा कि पिछले पांच साल से वह भारत नहीं आई हैं, जो मुकदमा वन अधिकारियों की ओर से दर्ज किया है, उनका रिकार्ड कोर्ट में तलब किया जाए। मुझे इस मामले की कोई भी जानकारी नहीं है।
क्षेत्र के जिम्मेदार वन अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश
2021 में हाई कोर्ट ने विकास नगर निवासी राकेश तोमर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रमुख वन संरक्षक इस मामले में खुद मौका मुआयना कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इतने बड़े स्तर पर पेड़ों का अवैध कटान वन व राजस्व विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। कोर्ट ने क्षेत्र के जिम्मेदार वन अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने कहा है कि वन और राजस्व अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में, जब पेड़ों की कटाई हुई थी, उन्होंने पेड़ों की अवैध कटाई को अंजाम देने वाले दोषी व्यक्तियों को अपनी मौन सहमति और सक्रिय संरक्षण प्रदान किया था लेकिन प्रमुख वन संरक्षक की ओर से पेश किए गए शपथ पत्र में यह नहीं बताया गया है कि उन पर क्या कार्रवाई की गई है, उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है और जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की गई।
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कटाई के बाद की तस्वीरें भी रिकॉर्ड में रखी
हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से पेड़ों की कटाई के बाद ली गई क्षेत्र की तस्वीरें भी रिकॉर्ड में रखी हैं। जब पेड़ काटे गए हैं, तब क्षेत्र में पड़े लकड़ी के लठ्ठों को भी देखा जा सकता है।
हाई कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने व क्षेत्र का निरीक्षण कर शपथपत्र दाखिल करने को कहा था। साथ ही यह बताने को कहा था कि अवैध कटान की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार अधिकारी कौन हैं?
साथ ही यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि क्षेत्र में पेड़ों की और कटान न किया जाय । मामले की अगली सुनवाई पहली जनवरी को होगी।
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