ख़बर रफ़्तार, रुद्रपुर: पंचवटी विला में बिल्डरों का बड़ा खेल चल रहा है। यहाँ प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर रेरा और उच्च न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। स्टे के बावजूद इस कॉलोनी में प्लाटों की खरीद-फरोख्त के साथ ही निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में जिम्मेदार विभागों पर भी आरोप लग रहे हैं।
वर्ष 2015 में मनिहार खेड़ा रोड पर कीरतपुर कोल्डा में पंचवटी विला नाम से कॉलोनी काटी गई थी। 2017 में रेरा में इस कॉलोनी का रजिस्ट्रेशन हुआ, जिसका नवीनीकरण 22 अक्टूबर 2021 को समाप्त हो गया। नवीनीकरण करने के लिए रेरा द्वारा 31 दिसंबर 2021 को नोटिस के जरिए अवगत दीप कराया गया, पर बिल्डर सुधीर चावला और सुरेंद्र कुमार चावला द्वारा रेरा रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण नहीं कराया गया। बावजूद सुधीर चावला एवं उनके पिता सुरेंद्र कुमार चावला द्वारा लगातार प्रोजेक्ट में बिला का निर्माण कर प्लॉट की रजिस्ट्री कराई गई। इसके साफ़ है कि रेरा रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद जो भी रजिस्ट्री हुई हैं, वह अवैध हैं।
सूत्रों की मानें तो बिल्डर द्वारा कुछ रजिस्ट्री में नवीनीकरण न कराए जाने के बावजूद रेरा का पंजीकरण नंबर भी डाला गया और झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया। शपथ पत्र में साफ-साफ लिखा गया कि प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड ही नहीं है। इसके पीछे न सिर्फ रजिस्ट्री कार्यालय बल्कि कुछ और लोग भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। इन लोगों ने नियम कानून को ताक पर रखकर खुलेआम प्रशासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई हैं।
प्रोजेक्ट नवीनीकरण न करने के पीछे साझेदारों के बीच चल रहा विवाद है, जो अब उच्च न्यायालय में भी लंबित है। बावजूद रेरा और उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए प्रोजेक्ट में खुलेआम खरीद फरोख्त की जा रही है और निर्माण कार्य भी चल रहा है। अफसर इस मामले में खामोशी की चादर ओढे हैं, ऐसे में कहीं न कहीं सवाल उठना लाजिमी है।
खास बात यह है कि बिल्डर सुधीर चावला और सुरेंद्र कुमार चावला को जब यह लगा कि प्रोजेक्ट में यथा स्थिति यानी स्टे हो सकता है, तो इन लोगों द्वारा झूठा शपथ पत्र देते हुए अपने-अपने हिस्से की सारी रजिस्ट्री का दाननामा अपनी पत्नी आकांक्षा चावला और बलजीत रानी के नाम कर दिया गया।
सुधीर कुमार चावला द्वारा 2098.03 वर्ग मीटर अपनी पत्नी आकांक्षा चावला के नाम जबकि सुरेंद्र कुमार चावला द्वारा अपनी पत्नी बलजीत रानी के नाम 1171 वर्ग मीटर भूमि दान में दिखा दी गई। यानी परिवार में सास बहू के बीच ही भूमि का दान नाम कर प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या कार्रवाई की जाती है।
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