
खबर रफ़्तार, हल्द्वानी : गौलापार स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का क्रिकेट मैदान अब खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि उपेक्षा और अनदेखी की मिसाल बनता जा रहा है। 38वें राष्ट्रीय खेलों से पहले जिस मैदान को 2.23 करोड़ रुपये की लागत से फुटबॉल के लिए बदला गया था, वहां से हटाई गई क्रिकेट की तीन पिचों की काली मिट्टी अब परिसर में यूं ही पड़ी है। जिस पर अब घास जम चुकी है। यह वही मिट्टी है जिसे राजस्थान से विशेष रूप से मंगवाया गया था और जिस पर 90 लाख रुपये खर्च किए गए थे।
राष्ट्रीय खेलों को संपन्न हुए 5 महीने और 6 दिन से भी अधिक बीत चुके हैं, लेकिन न तो पिच को दोबारा मैदान में लगाया गया और न ही मिट्टी को सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था की गई। अब तक भी क्रिकेट पिच की मिट्टी वैसे ही पड़ी होना खेल विभाग की गंभीर अनदेखी को दर्शाता है। हालात ऐसे हैं कि अब इस महंगी मिट्टी पर कंटीली घास उग आई है, जिससे साफ हो गया है कि न तो खिलाड़ियों को इसका कोई लाभ मिल पाया और न ही विभाग ने इसे सहेजने की जहमत उठाई। खेल अधिकारियों का दावा था कि राष्ट्रीय खेलों के बाद मैदान को फिर से क्रिकेट के अनुकूल बनाया जाएगा, लेकिन अब तक न तो मैदान तैयार हुआ, न पिच बिछी, और न ही क्रिकेट की वापसी के कोई संकेत हैं। इसके उलट, फुटबॉल ने मैदान पर पूरी तरह कब्जा जमा लिया है।
सरकारी स्टेडियमों का यही हाल रहा तो स्थानीय प्रतिभाएं आगे बढ़ने से पहले ही दम तोड़ देंगी। स्टेडियम की बदहाली और खेल विभाग की बेरुखी के चलते क्रिकेट खिलाड़ियों को अब निजी एकेडमियों की शरण लेनी पड़ रही है। गौलापार, कालाढूंगी रोड, रामपुर रोड, तीनपानी बाईपास रोड सहित शहर के कई इलाकों में करीब 15 निजी क्रिकेट एकेडमी सक्रिय हैं, जहां खिलाड़ियों को 1000 से 3000 रुपये मासिक फीस चुकानी पड़ रही है। सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों करोड़ों खर्च करने के बावजूद इस मिट्टी का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। क्यों पिच के पुनर्निर्माण की योजना ठंडे बस्ते में है और क्यों खिलाड़ियों को वह मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही जो उनका हक है।
गौलापार स्टेडियम में पड़ी क्रिकेट पिच की मिट्टी के विषय में हमें जानकारी है। यह मामला हमारी प्राथमिकता में है। खिलाड़ियों को हरसंभव सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारा दायित्व है, और इस दिशा में शीघ्र ही ठोस कदम उठाए जाएंगे।
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