खबर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में प्राकृतिक रूप से उगने वाली बिच्छू बूटी (कंडाली) की पत्तियों से चाय और रेशे से बन रही जैकेट, स्टोल और मफलर अब देश दुनिया में छाएंगे। प्रदेश में कई स्वयं सहायता समूह कंडाली के पौधे से रेशा तैयार करने के साथ चाय तैयार रहे हैं।
चमोली जिले के मंगरौली गांव में रूरल इंडिया क्राफ्ट संस्था और उत्तरकाशी जिले के भीमतल्ला में जयनंद उत्थान समिति ने नेटल फाइबर से जैकेट, शॉल, स्टोल तैयार किए। इन उत्पादों का निर्यात करने के लिए अमेरिका, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड में सैंपल भेजे गए थे। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर लगने वाले हस्तशिल्प मेलों में इन उत्पादों को प्रदर्शित किया।
पहली बार नेटल फाइबर को जीआई टैग मिलने से उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।
रूमधार और सुनहरीगाड़ में बन रही नेटल टी
टिहरी जिले के देवप्रयाग ब्लॉक के रूमधार और जाखणीधार के सुनहरीगाड़ में नेटल टी (चाय) बनाई जा रही है। करीब एक साल से रूमधार में राष्ट्रीय आजीविका मिशन सहयोग से स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिला नेटल टी बना रही हैं। करीब 80 ग्राम के पैकेट की कीमत सात रुपये है। एक साल में समूह 30 हजार की नेटल टी स्थानीय बाजार में बेच चुकी है। इसके साथ ही सुनहरीगाड़ में भी पूर्व प्रधान भगवती प्रसाद नौटियाल नेटल टी करीब छह माह से बना रहे हैं।
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