उत्तराखंड: चौकीदारों और ग्राम प्रहरियों का मानदेय बढ़ाने की तैयारी, राजस्व परिषद ने शासन को भेजा प्रस्ताव

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ख़बर रफ़्तार, देहरादून: बढ़ती महंगाई को देखते हुए प्रदेश के कई जिलों में तैनात ग्राम प्रहरियों और ग्राम चौकीदारों का मानदेय बढ़ाकर चार हजार रुपये प्रतिमाह करने की सिफारिश की गई है। ग्राम प्रहरियों का मानदेय बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव राजस्व परिषद की ओर से शासन को जनवरी माह में भेजा जा चुका है।

परिषद के आयुक्त एवं सचिव चंद्रेश यादव ने प्रमुख सचिव राजस्व को एक बार फिर प्रस्ताव भेजकर उस पर विचार करने का अनुरोध किया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुलिस विभाग के तहत ग्राम चौकीदारों और राजस्व विभाग में ग्राम प्रहरियों की तैनाती की व्यवस्था है। प्रदेश में इनकी संख्या करीब सात हजार है। राजस्व विभाग में 1800 से अधिक ग्राम प्रहरी तैनात हैं। इसके अलावा ग्राम प्रहरियों के पद खाली भी हैं।

लोस चुनाव से पहले ग्राम चौकीदारों और ग्राम प्रहरियों का मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। राजस्व परिषद की ओर से एक बार फिर प्रस्ताव के पक्ष में पैरवी की गई है। ग्राम प्रहरियों को दो हजार रुपये प्रति माह मानदेय देने का प्रावधान है। मानदेय में दो हजार रुपये की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। 2021 के बाद ग्राम प्रहरियों का मानदेय नहीं बढ़ा है। तत्कालीन सरकार में मानदेय बढ़ाकर दो हजार रुपये किया गया था। पत्र में खाली पदों को भरने का भी अनुरोध किया गया है।

चौकीदारों और ग्राम प्रहरियों की अहम भूमिका

प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में आयुक्त एवं सचिव ने चौकीदारों और ग्राम प्रहरियों के कार्यों और उनकी भूमिका का जिक्र किया है। पत्र में कहा गया कि वे प्रत्येक अप्राकृतिक, संदिग्ध या अचानक मृत्यु की सूचना देते हैं। जहां वह फेरे लगाते हैं, वहां प्रत्येक अपराधों की सूचना देते हैं. हल्का पटवारी व थाने को उन सब विवादों की सूचना देते हैं, जिनमें बलवा होने की संभावना है। वह शासन, जिला मजिस्ट्रेट या हल्का पटवारी समय-समय पर सौंपे गए काम करता है। राजस्व गांवों में सीमांकन, सर्वेक्षण, चकबंदी में लेखपाल व पटवारी का सहयोग करता है। जनगणना, पशुगणना व कृषि सर्वेक्षण के कार्यों में भी सहायता व सूचनाएं जुटाता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिड-डे मील, ग्राम विकास योजना, आंगनबाड़ी, बाल विकास कार्यक्रमों सहयोग करते हैं।

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