एफएनएन, रुद्रप्रयाग: जिले की रानीगढ़ पट्टी के सभा कोट की 30 महिलाएं पांच हेक्टेयर वन भूमि में वर्षा जल संरक्षण को लेकर लगातार एक महीने से कार्य कर रही हैं. महिलाओं की ओर से 200 चाल, खाल, खतियां तथा रिसाव पिटों का निर्माण किया गया है. वर्षा होने पर अभी तक एक लाख लीटर जल भंडारण होकर भूमिगत हुआ है. इस कार्य की शुरूआत गांव के ऊपर वाले वन क्षेत्र में की गयी, जिस कारण गांव के आस-पास के पानी के स्रोत रिचार्ज हो सकें और भूमिगत जल स्तर में बढ़ोत्तरी हो सके.
छात्र भी सीख रहे जल संरक्षण के गुर- प्रो भारती
महिलाओं के इस जल एवं मिश्रित वन संरक्षण अभियान से जुड़े नमामि गंगे नोडल अधिकारी रुद्रप्रयाग प्रो डाॅ बिक्रम वीर भारती ने कहा कि ग्राम सभा कोट की महिलाएं जल संरक्षण की दिशा में मिसाल कायम कर रही हैं. समय-समय पर उनके महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के छात्र-छात्राएं भी महिलाओं के इस कार्य का अवलोकन करने आ रहे हैं तथा महिलाओं से पारंपरिक जल संरक्षण के प्रयोग के गुर सीखकर अपने-अपने गांव में अपनाने का संकल्प ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा किया गया जल संरक्षण का यह प्रयोग नयी पीढ़ी के लिए मार्ग-दर्शन का कार्य कर रहा है. उन्होंने भविष्य में भी महिलाओं की हरसंभव मदद करने की बात कही है.
सिंगलास देवता वन से किया गया समिति का गठन
वन की रक्षा के लिए ग्राम सभा कोट की महिलाओं की समिति का गठन भी इस वन में निवास करने वाले सिंगलास देवता के नाम पर किया गया है. सिंगलास देवता मिश्रित वन एवं जल संरक्षण महिला वन समिति के नाम से सभी महिलाएं इस पांच हेक्टेयर वन का संरक्षण करेंगी. इस अभियान में कार्यरत सभी महिलाओं ने संकल्प लिया है कि इस वन की रक्षा अपने बच्चों की तरह करेंगी और आजीवन भविष्य के पर्यावरण संरक्षण को लेकर इस वन से जुड़ी रहेंगी. सभी महिलाओं ने इस सिंगलास देवता मिश्रित वन के वृहद विकास एवं संवर्द्धन को लेकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली के मिश्रित वन में प्रशिक्षण लिया है.
वन क्षेत्र के आस-पास लगभग 100 परिवार निवास करते हैं. इनमें अधितर जल के प्राकृतिक स्रोतों पर आश्रित हैं. उन जल स्रोतों के जल स्तर को बढ़ाने की दृष्टि से भी यह कार्य किया जा रहा है. जल संरक्षण का यह प्रयोग पारम्परिक है, जिसमें ढलवा स्थानों तथा जल के स्रोतों केे आस-पास कच्ची चाल खाल, खंतिया बनाकर वर्षा जल रोककर भूमिगत किया जाता है. इस कारण मिट्टी का कटाव भी रुक जाता है और प्राकृतिक पानी के स्रोत रिचार्ज हो जाते हैं तथा आस-पास नमी रहने से जैव विविधता का निर्माण होता है.
भविष्य के लिए वरदान साबित होगा यह प्रयोग- जंगली
विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली ने खुशी जताते हुए कहा कि जल एवं वन संरक्षण का यह कार्य महिलाओं द्वारा वृहद स्तर पर किया जा रहा है, जोकि पूरे जिले के लिए गर्व की बात है. भविष्य में जल के संकट को मद्देनजर रखते हुए जल के ऐसे प्रयोग वरदान साबित होंगे. उन्होंने ग्राम प्रधान की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि मनरेगा वित्त द्वारा पर्यावरण के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा गया और जल संरक्षण के कार्य में यह वित्त सदुपयोगी हो रहा है, जो कि भविष्य में पर्यावरण संरक्षण में मिसाल बन सकता है.
रुद्रप्रयाग जिले की रानीगढ़ पट्टी के सभाकोट में मीनू देवी, ममता देवी, सरोजनी देवी, पूजा देवी, रितिका, बीना देवी, उर्मिला देवी, पूनम देवी, रजनी देवी और शाकुम्बरी देवी समेत 30 महिलाएं जल एवं वन संरक्षण का कार्य कर रही हैं.
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