ख़बर रफ़्तार, चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बरी होने के बावजूद जेलों में बंद कैदियों के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश निधि गुप्ता की खंडपीठ ने पंजाब सरकार को यह बताने को कहा है कि बरी होने के बावजूद कितने बंदी जेलों में बंद हैं।
जस्टिसएन एस शेखावत के संज्ञान में लाया गया कि अप्रैल 2023 में बरी होने के बाद उन किशोर हिरासत में लिया गया है और उनके प्रत्यावर्तन का मामला पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास निदेशालय के समक्ष लंबित है।
2022 में दो पाकिस्तानी किशोर पर कथित तौर पर भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के लिए पंजाब के तरनतारन में पासपोर्ट अधिनियम 1920 की धारा 3 और विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 14 के तहत मामला दर्ज किया गया था और तब से वे किशोर कैद में हैं।
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हालांकि, किशोर बोर्ड ने फैसला सुनाया कि एक सीमा स्तंभ से दूसरे सीमा स्तंभ के बीच कोई बाड़ नहीं थी। कोहरे के दिनों में गलती से भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि घटनास्थल पर वायरिंग या गेट न होने के कारण क्षेत्र का अंतर नहीं समझ सके।
किशोर बोर्ड ने दोनों को बरी करने का दिया था आदेश
किशोर बोर्ड ने दोनों को बरी करने का आदेश दिया था। जस्टिस एन एस शेखावत ने मामले को गंभीर मानते हुए इस पर संज्ञान लेकर उचित आदेश के लिए हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को याचिका मानते हुए व सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार 26 फरवरी तक जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
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