वीवीआइपी ड्यूटी से परेशान कार्डियोलाजिस्ट ने दिया इस्तीफा, एक महिला चिकित्सक ने भी छोड़ी थी नौकरी

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खबर रफ़्तार, देहरादून: वीआइपी और वीवीआइपी कल्चर न सिर्फ आमजन पर भारी पड़ रहा है, बल्कि तमाम अधिकारी-कर्मचारी भी इससे आजिज है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण सोमवार को दून मेडिकल कालेज अस्पताल यानी दून अस्पताल में देखने को मिला।

वर्षों बाद यहां कार्डियोलाजिस्ट डा. अमर उपाध्याय की तैनाती हो पाई थी। लेकिन, वह वीआइपी और वीवीआइपी ड्यूटी से इस कदर परेशान हो गए कि इस्तीफा दे दिया। हालांकि, मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बाद में उनसे वार्ता कर उन्हें मना लिया, जिसके बाद वह वापस ड्यूटी पर लौट आए हैं।

कार्डियोलाजिस्ट विभाग की एक सीनियर रेजीडेंट पहले ही वीआइपी ड्यूटी लगने के चलते नौकरी छोड़कर जा चुकी हैं। एक तो सरकारी अस्पतालों को हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलाजिस्ट) मिल नहीं रहे और जिन चुनिंदा अस्पतालों में कार्डियोलाजिस्ट तैनात हैं, उन पर वीआइपी-वीवीआइपी ड्यूटी समेत अन्य दबाव हैं।

ऐसे ही दबाव से परेशान दून अस्पताल में तैनात कार्डियोलाजिस्ट डा. उपाध्याय ने सोमवार को प्राचार्य डा. सयाना से मुलाकात की और उन्हें बताया कि वीआइपी-वीवीआइपी ड्यूटी लगने से उपचार के लिए अस्पताल आए मरीजों को वापस लौटना पड़ता है। जांच ठप हो जाती है। दूरदराज से आए मरीज परेशान होते हैं। उन्होंने कहा कि कैथ लैब का संचालन होने पर यह समस्या और भी बढ़ जाएगी।

वीआइपी-वीवीआइपी ड्यूटी के लिए कोई भी डाक्टर आम मरीज के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकता और यह सही भी नहीं है। यह भी बताया कि जहां उनकी ड्यूटी लग रही है, वहां रहकर भी कोई फायदा नहीं है। वहां इतने संसाधन ही नहीं हैं कि वह कुछ कर सकें। इस संबंध में प्राचार्य ने बताया कि कार्डियोलाजिस्ट ने इस्तीफा दिया है, लेकिन उन्हें समझा दिया गया है कि शासन स्तर पर इस संबंध में बात की जाएगी। मरीजों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।

चिंतन शिविर में भी लगी कई चिकित्सकों की ड्यूटी

राज्य में 14 से 16 जुलाई को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के स्वास्थ्य चिंतन शिविर में भी दून मेडिकल कालेज से बड़ी संख्या में चिकित्सकों की ड्यूटी लगा दी गई है। इससे चिकित्सकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि इससे ओपीडी के साथ आइपीडी, ओटी और छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

महिला चिकित्सक ने छोड़ दी थी नौकरी

दून अस्पताल में गत वर्ष एक महिला चिकित्सक को भी वीआइपी कल्चर से आजिज आकर नौकरी छोड़नी पड़ी थी। उन्हें ओपीडी बीच में छोड़कर एक आइएएस अधिकारी की पत्नी के चेकअप के लिए उनके घर जाना पड़ा था।

वहां उनका किसी बात पर आइएएस अधिकारी की पत्नी से विवाद हो गया। जिसके बाद चिकित्सक का स्थानांतरण कर दिया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर स्थानांतरण रुक गया, मगर बाद में चिकित्सक ने इस्तीफा दे दिया। यह प्रकरण काफी चर्चा में रहा था।

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