ख़बर रफ़्तार, लुधियाना: किसानों की ओर से शंभू में 13 फरवरी से नेशनल हाईवे और 17 अप्रैल से रेलवे ट्रैक पर दिए जा रहे धरने का राज्य के व्यापार पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पहले औद्योगिक नगरी लुधियाना में हर वर्ष मई माह में देशभर के गारमेंट्स डीलर्स (Garments Dealers) बुकिंग के लिए आते हैं।
दूसरे राज्यों के व्यापारियों में यह बात घर करती जा रही है कि पंजाब में हालात ठीक नहीं हैं। पहले जहां लुधियाना की गारमेंट्स इंडस्ट्री घर बैठे ही मात्र 24 से 48 घंटे में ही 500 करोड़ रुपये से अधिक के आर्डर दूसरे राज्यों से प्राप्त कर लेती थी वहीं, अब उन्हें व्यापार बचाने के लिए लुधियाना से बाहर चंडीगढ़ और दिल्ली में जाकर अपने उत्पाद दिखाने पड़ रहे हैं।
लुधियाना आने से कतरा रहे डीलर्स
यही नहीं, शहर के होटल और मैरिज पैलेस भी वीरान पड़े हैं। कजारो ब्रांड के एमडी संजय कपूर ने कहा कि हर साल मई माह में उनके उत्पादों की बुकिंग के लिए कारोबारी लुधियाना आते रहे हैं। इस बार डीलर्स लुधियाना आने से कतरा रहे हैं और मई माह में होने वाला बायर सेलर का महाकुंभ फीका हो गया। अब वे चंडीगढ़ और दिल्ली में डीलर्स को बुलाकर अपने उत्पादों को प्रदर्शित करेंगे ताकि आगामी सर्दियों के सीजन के लिए प्रोडक्शन का खाका तैयार किया जा सके।
निटवियर एवं टैक्सटाइल क्लब के प्रधान विनोद थापर के मुताबिक हर साल मई माह में लुधियाना में लगने वाली बायर सेलर मीट इंडस्ट्री के लिए एक पर्व से कम नहीं होती। इस दौरान देश से पांच हजार से अधिक डीलर्स लुधियाना आते हैं और यहां पर प्रोडक्ट की सारी रेंज प्रदर्शित की जाती हैं।
पंजाब जा रहा अंधकार की ओर – जौहल
एसएस जौहल देश के प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री एवं पद्म भूषण सरदारा सिंह जौहल ने भी किसान संगठनों के प्रदर्शनों से पंजाब को होने वाले नुकसान पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान नेताओं ने लंबे समय से हाईवे और रेल ट्रैक को रोककर प्रदेश की आर्थिकता व सामाजिक जीवन का गला दबा दिया है। प्रदेश में व्यापार और उद्योग लगभग ठप हो गए हैं और इसका भारी नुकसान पंजाब को उठाना पड़ रहा है। रोजगार, आमदनी एवं आर्थिक विकास पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
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पंजाब को हो रहा नुकसान, प्रदेश सरकार मौन- एसएस जौहल
हैरान करने वाली बात है कि पंजाब को नुकसान हो रहा है और प्रदेश सरकार भी मौन बैठी है। केंद्र सरकार भी रेल ट्रैक खाली करवाने की कोशिश नहीं कर रही है। केवल वोट की राजनीति हो रही है। पंजाब और पंजाबियत का नुकसान रोकने के लिए कोई काम नहीं कर रहा। किसानों को समझना चाहिए कि खेती के मुद्दे पूरे देश के हैं। दूसरे राज्यों के किसान अपने ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नहीं छेड़ रहे।
व्यापार व उद्योग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। आंदोलन के और भी प्रभावशाली तरीके हैं। किसान संगठन रेलवे ट्रैक पर धरना और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को रोक राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को न खत्म करें, क्योंकि यह पंजाब के भविष्य के लिए घातक होगा।
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