ख़बर रफ़्तार, नैनीताल: कुमाऊं साइबर ठगों की गिरफ्त में आ गया है। मंडल में रोजाना औसतन 19 लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। दूसरी ओर, पुलिस दावों के उलट साइबर ठगों द्वारा उड़ाई गई रकम की बरामदगी बेहद कम है।
गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल से प्राप्त शिकायतों के अनुसार इस साल जनवरी-फरवरी में ही मंडल में 1176 लोगों ने साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई। इसमें सर्वाधिक नैनीताल में 358, ऊधम सिंह नगर में 353, अल्मोड़ा में 167, बागेश्वर में 81, पिथौरागढ़ में 140 और चंपावत की 77 शिकायतें हैं। अब तक पुलिस की ओर से 316 शिकायतों का ही निस्तारण हो सका है जबकि दो ने शिकायत वापस ले ली।
हैरानी की बात यह है कि केवल चार मामलों में ही पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है जबकि तीन मामलों की फिर से जांच की जा रही है। जानकारों के अनुसार साइबर सेल से जांच पड़ताल के बाद शिकायतों को निस्तारण कर थानों में भेजा जा रहा है, लेकिन थाना स्तर पर अपराध छिपाने या रकम वापसी में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों सहित अन्य वजहों से पुलिस मुकदमा दर्ज करने के बजाय जांच तलब कर खानापूर्ति कर रही है।
162 मुकदमे विचाराधीन
डीआइजी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 2021 से 2024 तक नैनीताल में साइबर क्राइम के 38, ऊधम सिंह नगर में 104, अल्मोड़ा में आठ, बागेश्वर में शून्य, पिथौरागढ़ में 11 व चंपावत में छह मामले विवेचनाधीन हैं जबकि 2021 से 2024 तक कुल 712 मुकदमे हैं।
नैनीताल में केवल 8.14 प्रतिशत बरामदगी
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार नैनीताल जिले में साइबर ठगों ने 33 लाख 36 हजार से अधिक रकम उड़ाई तो ऊधम सिंह नगर में 92 लाख 58 हजार, अल्मोड़ा में दो लाख 19 हजार, बागेश्वर में दो लाख 63 हजार, पिथौरागढ़ में एक लाख से अधिक तथा चंपावत में 19 लाख 41 हजार से अधिक की संपत्ति उड़ा ली। नैनीताल में केवल 8.14 प्रतिशत संपत्ति बरामद की है।
इसी तरह ऊधम सिंह नगर में 33.67 प्रतिशत, अल्मेाड़ा में सर्वाधिक 94.88 प्रतिशत, बागेश्वर में सबसे कम 2.42 प्रतिशत, पिथौरागढ़ में 91 प्रतिशत तथा चंपावत में 51.76 प्रतिशत संपत्ति बरामद की है।
बिहार से लेकर मध्य प्रदेश तक फैला मकड़जाल
एक दशक पहले तक साइबर ठगी के लिए बिहार का जमताड़ा बदनाम था। अब बिहार-झारखंड के साथ ही मध्य प्रदेश, बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों तक साइबर ठगों का मकड़जाल फैला है। पुलिस सूत्रों के अनुसार साइबर ठग पुलिस जांच में पकड़े भी जाते हैं तो रकम लौटाने के बजाय छह माह तक जेल जाने को तैयार रहते हैं। बुजुर्ग व बीमार लोगों के खाते खुलवाकर ठगी करते हैं।
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