उत्तराखंड: भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी कायम, तीन साल में दर्जनों अफसरों पर हुई कार्रवाई, कई सलाखों के पीछे

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खबर रफ़्तार, देहरादून: सीएम धामी का कहना है कि भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति कायम रहेगी।

धामी सरकार ने बीते तीन साल में दर्जनों अफसरों पर कार्रवाई की। कई निलंबित हुए तो कई को सलाखों के पीछे भेजा गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हर मामले में सख्त एक्शन देखने को मिला। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति कायम रहेगी।

इन बड़े अफसरो पर हुई कार्रवाई

आईएएस रामविलास यादव : आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में निलंबित किया गया। उनके खिलाफ आय का स्रोत स्पष्ट न होने पर जांच एजेंसियों ने जांच शुरू की है।

आईएफएस किशन चंद : वन विभाग से जुड़े इस वरिष्ठ अधिकारी पर पद के दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे हैं। उनके विरुद्ध कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई है।

हरमिंदर सिंह बवेजा (उद्यान निदेशक): बागवानी विभाग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के कारण निलंबित किए गए।

अमित जैन (वित्त नियंत्रक, आयुर्वेद विवि): भ्रष्टाचार संबंधी आदेशों की अनदेखी और वित्तीय नियमों की अवहेलना पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।

भूपेंद्र कुमार (उपमहाप्रबंधक वित्त, परिवहन निगम): रिश्वत लेने और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों में निलंबन। विजिलेंस में विस्तृत जांच चल रही है।

महिपाल सिंह (लेखपाल): रिश्वत मांगने के मामले में रंगे हाथ पकड़े गए। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है।

रामदत्त मिश्र (उप निबंधक, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग): स्टांप शुल्क व भूमि पंजीकरण में अनियमितताओं के कारण निलंबित।

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