खबर रफ़्तार, उत्तरकाशी: आलवेदर रोड की सबसे लंबी डबल लेन सड़क सुरंग का निर्माण करीब चार किलोमीटर हो गया है। इस सुरंग का निर्माण युद्ध गति पर चल रहा है। सुरंग के निर्माण में 800 से अधिक मजदूर दिन-रात जुटे हुए हैं। फरवरी 2024 तक सुरंग आर-पार हो जाएगी। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा और जंगल चट्टी के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी इस अत्याधुनिक सुरंग के निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी 26 किमी कम हो जाएगी। साथ 45 मिनट के समय की भी बचत होगी। इसके अलावा राड़ी टॉप में बर्फबारी से मार्ग बंद होने की समस्या से जनपद उत्तरकाशी के रवाईं घाटी की करीब दो लाख की आबादी को निजात मिलेगी।
नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने जनवरी, 2019 में शुरू किया था निर्माण
राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) की देखरेख में डबल लेन सुरंग देश की पहली अत्याधुनिक सुरंग न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से बनाई जा रही है। 7 जनवरी 2019 से इस डबल लेन सुरंग का निर्माण नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लि. ने शुरू किया।
सुरंग बनने से 26 किलोमीटर कम होगी दूरी
चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव धरासू से यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग शुरू होता हैं। धरासू से यमुनोत्री के अंतिम सड़क पड़ाव जानकीचट्टी की दूरी 106 किमी है। इसी मार्ग पर सात हजार फिट की ऊंचाई वाला राड़ी टॉप का पहाड़ी क्षेत्र आता है। जो सर्दियों में बर्फबारी के कारण बाधित रहता। यह मार्ग उत्तरकाशी जनपद की बडकोट, पुरोला, मोरी तहसील की करीब दो लाख की आबादी को जिला मुख्यालय से भी जोड़ता हैं।
चारधाम यात्रा को सुगम बनाने, आमजन को सुविधा देने और बर्फबारी की समस्या से निजात पाने के लिए यहां आलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन 4.5 किलोमीटर सुरंग बनाने की योजना बनी। जो सिलक्यारा से जंगल चट्टी के बीच बन रही है। अभी वर्तमान में राड़ी टॉप होते हुए सिलक्यारा से जंगल चट्टी के बीच की दूरी 30.5 किलोमीटर है।
आगजनी पर सुरंग के अंदर छूटेगी पानी की फुहार
एनएचआइडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल कहते हैं कि इस सुरंग में आने-जाने के लिए अलग-अलग लेन होगी। सिंगल ट्यूब सिस्टम होगा। दोनों लेन के बीच में 400 एमएम की कंक्रीट की मजबूत दीवार बनाई जा रही है। हर पांच सौ मीटर दोनों लेन को आपातस्थिति में जोड़ने के लिए गेट होंगे। जिससे एक लेन के चौपहिया वाहन दूसरी लेन में भेज जा सकेंगे।
इसके अलावा एकीकृत सुरंग नियंत्रण प्रणाली के तहत सुरंग के अंदर की गतिविधि का स्वचालन में सहायता मिलेगी। जिसमें सांख्यिकीय डेटा का रखरखाव, संग्रह और विश्लेषण, आपातकालीन सेंसर, वायु गुणवत्ता और वेंटिलेशन सिस्टम सुनिश्चित करना शामिल है। इसमें सुरंग के बाहर नियंत्रण भवन होगा जहां से सभी नियंत्रण स्थापित किए जाएंगे। जबकि, आगजनी की स्थिति में कंप्यूटर और संवेदक सिस्टम से स्वत: पानी की फुहार छूटने लगेगी और पंखे भी हवा देना बंद कर देंगे।
इस तरह के सिस्टम के तहत काम करने वाली यह भारत की पहली सुरंग है। इसका संदेश कंट्रोल रूम के साथ अन्य वाहन चालकों को भी एफएम के जरिये मिलेगा। सिर्फ सुरंग में प्रवेश करते समय वाहन चालकों को अपने वाहन का स्पीकर एफएम मोड में आन रखना होगा। सुरंग के अंदर सुरक्षित ड्राइविंग की सुविधा के लिए स्वचालित प्रकाश नियंत्रण प्रणाली भी होगी।
सुरंग निर्माण का न्यू आस्टियन टनलिंग मेथड
एनएचआइडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल के अनुसार एनएटीएम वर्तमान में सुरंग बनाने की विश्व प्रचलित पद्धति है। इसमें चट्टान तोड़ने के लिए डिलिंग और ब्लास्टिंग दोनों की जाती है। लेकिन, खोदाई के दौरान चट्टानों का अध्ययन और निगरानी कंप्यूटराइज्ड मशीनों के जरिए होती है। इससे इंजीनियरों को सुरंग के अंदर आने वाली अगली कोमल व कठोर चट्टान की स्थिति मालूम पड़ जाती है और वो सुरंग निर्माण के लिए प्राथमिक सपोर्ट फोर पोलिंग, अम्ब्रेला रूफिंग की पहले ही तैयारी कर लेते हैं। इस पद्धति में चौबीसों घंटे काम चलता है और सुरंग निर्माण में कम समय लगने के साथ लागत भी कम आती है।
कर्नल दीपक पाटिल कहते हैं कि इस सुरंग का व्यास 15.095 मीटर है, जबकि अटल सुरंग में 13 मीटर व्यास है। इसी लिहाज से भी यह सुरंग बड़ी है। इस सुरंग निर्माण पूरा करने में 800 से अधिक श्रमिक दिन-रात काम में जुटे हैं। फरवरी 2024 तक सुरंग निर्माण की बड़ी उपलब्धि हासिल होगी।
ये हैं कर्नल दीपक पाटिल
सुरंग का निर्माण 12 सितंबर 2018 से महाप्रबंधक के रूप में तैनात एनएचआइडीसीएल के साथ प्रतिनियुक्ति पर भारतीय सेना के कर्नल दीपक पाटिल की सक्षम देखरेख में किया जा रहा है। कर्नल दीपक पाटिल ने ऑस्ट्रिया (यूरोप) से टनलिंग टेक्नोलॉजीज का अध्ययन किया है। 28 की सेवा में कर्नल दीपक पाटिल कई राष्ट्रीय परियोजना पर काम किया है। सिलक्यारा जंगल चट्टी सुरंग निर्माण में उनका सहयोग करने के लिए यूनाइटेड किंगडम और इटली के 35 इंजीनियरों की एक टीम है।
+ There are no comments
Add yours