पेयजल निगम-जल संस्थान के सिर पर ही एसटीपी का बोझ, नहीं मिली कोई संचालन वाली कंपनी

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खबर रफ़्तार, देहरादून:  चमोली में बीती 19 जुलाई को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में हुई भीषण करंट दुर्घटना के बाद से नमामि गंगे के 18 एसटीपी पेयजल निगम और जल संस्थान के सिर का बोझ बन गए हैं। विभाग को ही इनका संचालन करना पड़ रहा है।

करीब छह माह में कोई कंपनी संचालन को सामने नहीं आ पाई है। दरअसल, चमोली करंट हादसे के बाद जांच अधिकारी एडीएम डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने 175 पन्नों की जांच रिपोर्ट दी थी। इसमें उन्होंने 39 लोगों के बयान दर्ज किए थे। उन्होंने हादसे के लिए ज्वाइंट वेंचर फर्म को मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया था। संस्तुति की थी कि नमामि गंगे कार्यक्रम को लेकर ज्वाइंट वेंचर के साथ अनुबंध को निरस्त किया जाए।

फर्म की 1.10 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भी तत्काल प्रभाव से जब्त करने की संस्तुति की थी। इस आधार पर ज्वाइंट वेंचर की दोनों फर्मों (जय भूषण मलिक कांट्रैक्टर पटियाला और मैसर्स कांफिडेंट इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर) के अलावा भास्कर महाजन की फर्म एक्सिस पावर कंट्रोल्स दिल्ली को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।

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नमामि गंगे के तहत यहां कुल 18 एसटीपी बने हुए हैं, जिनमें से 11 का संचालन जल संस्थान और सात का संचालन पेयजल निगम करता है। इन सभी एसटीपी के लिए सरकार ने एक बार प्रयास भी कर लिए हैं, लेकिन अभी तक कोई कंपनी नहीं मिल पाई है। पेयजल निगम के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल इन एसटीपी का संचालन उनके स्तर से ही किया जा रहा है।

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