ख़बर रफ़्तार, देहरादून : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रदेश के सभी बार्डर सील किए गए हैं। प्रत्येक बार्डर पर अर्धसैनिक बल की तैनाती की गई है, ताकि पड़ोसी राज्यों से किसी तरह की तस्करी न हो पाए।
अंतरराज्यीय बैरियर पर कुछ क्षेत्र वन विभाग का भी है, जिसके चलते पुलिस विभाग ने वन विभाग से समन्वय स्थापित कर सीमावर्ती वन क्षेत्रों में भी संयुक्त पेट्रोलिंग करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश की सीमाओं पर कुछ कच्चे रास्ते भी हैं, जहां से पुलिस को तस्करी होने का संदेह है। ऐसे रास्तों पर भी लगातार निगरानी की जा रही है। क्योंकि तस्करों को इन रास्तों के बारे में जानकारी होती है। मुख्य मार्ग सील होने के चलते वह चुनाव के दौरान इन रास्तों का इस्तेमाल करते हैं।
राजस्व क्षेत्रों से असलहे जमा करवाना चुनौती
लोकसभा चुनाव को देखते हुए आचार संहिता लगते ही असलहे जमा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसको लेकर पुलिस व राजस्व विभाग ने सभी असलहा धारकों का रिकार्ड भी जुटा लिया गया है, लेकिन राजस्व क्षेत्र से असलहा जमा करना बड़ी चुनौती होगी।
इस कारण यह है कि प्रदेश में राजस्व उपनिरीक्षकों की संख्या काफी कम है। प्रदेश में करीब 7500 राजस्व गांव हैं और एक राजस्व उपनिरीक्षक के पास 15 से 20 गांव की जिम्मेदारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन से लेकर संचार व्यवस्था भी बेहतर नहीं रहती है। ऐसे में समय पर असलहे जमा करवाने के लिए राजस्व उपपनिरीक्षकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
चुनाव का बिगुल बजते ही पुलिस व राजस्व विभाग के लिए हथियार जमा करना बड़ा चुनौतीपूर्ण रहता है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि कई लोग हथियार के संबंध में पूरी जानकारी नहीं देते। आचार संहिता लगते ही असहले जमा होने शुरू हो जाएंगे। अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान ने बतया कि निर्वाचन आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि चुनाव आचार संहिता लगते ही कुछ लाइसेंस धारकों को छोड़कर बाकी सभी को अपने हथियार जमा करवाने अनिवार्य हैं।
इसके लिए हर जिले में जिलाधिकारी व एसएसपी की देखरेख में स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई है। कमेटी ने असलहा धारकों की जानकारी जुटा ली है। आचार संहिता लगते ही इन असलहा धारकों को असलहे जमा करने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे, जो व्यक्ति असलहा जमा नहीं करता, उसके खिलाफ कार्रवाई का भी प्रविधान है।

+ There are no comments
Add yours