खबर रफ़्तार, नई दिल्ली: विशेषज्ञों के एक समूह ने संसदीय समिति को यह सुझाव दिया है कि राजनीतिक दलों के संगठन में महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए और दल के भीतर लोकतंत्र को लागू करने के लिए चुनाव आयोग को ज्यादा अधिकार दिए जाने चाहिए। विशेषज्ञ ‘एक देश-एक चुनाव’ के विधेयकों की जांच कर रही समिति के सामने पेश हुए। इनमें भाजपा के पूर्व सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे भी शामिल थे। सहस्त्रबुद्धे लंबे समय से थिंक टैंक से जुड़े रहे हैं। सभी विशेषज्ञों ने इस विचार का पूरा समर्थन किया।
विशेषज्ञ समूह ने चुनाव प्रचार से जुड़े सुधारों पर दिया जोर
समूह ने चुनाव प्रचार से जुड़े कुछ सुधारों पर भी बात की। उन्होंने कहा, हर राजनीतिक दल के लिए घोषणापत्र जारी करना अनिवार्य किया जाए और चुनाव के बाद उस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जाए। हर उम्मीदवार को भी अपना व्यक्तिगत घोषणापत्र और चुनाव के बाद उस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देनी चाहिए। चुनाव प्रचार के खर्च को कम करने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि दूरदर्शन और निजी टेलीविजन चैनलों को यह अनिवार्य किया जाए कि वे हर राज्य के सभी प्रमुख दलों के नेताओं के प्रचार भाषण प्रसारित करें। प्रचार के लिए सार्वजनिक मैदानों को आरक्षित किया जाए और लॉटरी प्रणाली के जरिए दलों को बारी-बारी से मैदान दिए जाएं।
समूह ने चुनाव प्रचार से जुड़े कुछ सुधारों पर भी बात की। उन्होंने कहा, हर राजनीतिक दल के लिए घोषणापत्र जारी करना अनिवार्य किया जाए और चुनाव के बाद उस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जाए। हर उम्मीदवार को भी अपना व्यक्तिगत घोषणापत्र और चुनाव के बाद उस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देनी चाहिए। चुनाव प्रचार के खर्च को कम करने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि दूरदर्शन और निजी टेलीविजन चैनलों को यह अनिवार्य किया जाए कि वे हर राज्य के सभी प्रमुख दलों के नेताओं के प्रचार भाषण प्रसारित करें। प्रचार के लिए सार्वजनिक मैदानों को आरक्षित किया जाए और लॉटरी प्रणाली के जरिए दलों को बारी-बारी से मैदान दिए जाएं।
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