रक्षाबंधन 2025: परंपरा और बाज़ार का संगम

खबर रफ़्तार, लखनऊ: याद कीजिए करीब डेढ़ से दो दशक पहले का वक्त जब रक्षाबंधन पर्व पर बहनें सूती, रेशमी धागों और गजरों से अपने भाइयों की कलाई भरकर उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती थीं। शनै: शनै: इसमें बदलाव होता गया। बाजारीकरण के युग में त्यौहार पर हावी होते व्यापार ने इनमें व्यापक बदलाव ला दिया है। साल-दर-साल बढ़ते कारोबार ने राखी बाजार को भी नई स्टाइलिस्ट राखियों से भर दिया है।

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