ख़बर रफ़्तार, बरेली : कोषाधिकारियों की कमेटी की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि नियमानुसार बैंक में समय-समय पर केवाईसी किए जाने का भी नियम है। चेकबुक भी संबंधित खाताधारक को ही जारी की जाती है। ऐसे में सोहन लाल शर्मा के पुत्र उमेश भारद्वाज की ओर से लगातार प्रत्येक माह चेक के माध्यम से कूटरचित तरीके से पेंशन निकाली जाती रही।
इस प्रकरण में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, 87 सिविल लाइंस की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है, लेकिन डीएम को भेजी रिपोर्ट में कोषागार कार्यालय के संंबंधित वरिष्ठ सहायक का जिक्र नहीं है। कमेटी ने वरिष्ठ सहायक को साफ बचाया है।
मुख्य कोषाधिकारी शैलेश कुमार ने बैंक को अधिक भुगतान की वसूली के संबंध में कई पत्र जारी किए थे। इसके बाद बैंक ने स्व. सोहन लाल शर्मा के बैंक खाता में अवशेष धनराशि 27 लाख 77 हजार 659 में से 27700 रुपये मात्र धनराशि का डिमांड ड्राफ्ट से राजकोषीय लेखा शीर्षक में जमा करने के लिए वापस की गई। जिसे चालान से 17 दिसंबर 2024 को जमा कराया।
इसके साथ पत्रों के जरिए बैंक से किन परिस्थितियों में फर्जी भुगतान आहरित करने, किन-किन माध्यम से आहरित और आहरित संबंधी विवरण उपलब्ध कराने की अपेक्षा की गयी, तब लीड बैंक मैनेजर ने 10 जनवरी को अपने पत्र के जरिए बैंक को एक सप्ताह का समय देने मांग की लेकिन बैंक ने इस प्रकरण में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिया लेकिन इस प्रकरण में कमेटी ने जांच रिपोर्ट में उन कर्मचारियों का कोई जिक्र नहीं किया, जिनके जरिए फर्जी तरह से पेंशन पिछले 16 साल से निकाली जा रही थी।
कोषागार कार्यालय के कर्मचारियों को मामले में कार्रवाई से बचाने की बात सामने आई। जबकि पेंशन की रकम वसूली कराने के लिए मुख्य कोषाधिकारी की ओर से अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को 4 फरवरी को लिखे पत्र में साफ कहा है कि उमेश भारद्वाज ने बैंक और कार्यालय से संंबंधित कार्मिक द्वारा कूटरचित तरीके से पेंशन प्राप्त की गई है।
पिता की मृत्यु के 56 दिन बाद बेटे ने जीवन प्रमाणपत्र पर किए थे फर्जी हस्ताक्षर
कोषागार कार्यालय से उमेश भारद्वाज पुत्र स्व. सोहन लाल शर्मा निवासी न्यू ओम सांई इन्क्लेव, डोहरा रोड को 28 अक्टूबर 2024 और 12 नवंबर 2024 को पत्र जारी किया, जिसमें शासकीय धनराशि के फर्जी आहरण को जमा करने के लिए कहा गया था। इसके बाद मुख्य कोषाधिकारी ने विश्वबंधु गौतम कोषाधिकारी की अध्यक्षता में दो सहायक कोषाधिकारियों सहित जांच कमेटी 18 नवंबर को गठित की।
अधिक भुगतान किन परिस्थितियों में करने और संबंधित जिम्मेदार कार्मिकों के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। कमेटी ने 30 दिसंबर, 2024 को दी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि उमेश भारद्वाज ने पेंशनर की पेंशन पासबुक में चेक के माध्यम से प्रत्येक माह 49 हजार कूटरचित ढंग से पेंशन आहरित की।
पत्रावली में उपलब्ध जीवन प्रमाण पत्र के आधार पर 4 नवंबर, 2008 को जीवन प्रमाणपत्र जमा किया था, जिसमें स्व. सोहन लाल शर्मा के नाम के हस्ताक्षर पाए गए। जबकि तहसीलदार की जांच में सोहन लाल की मृत्यु 19 सितंबर 2008 को ही हो चुकी थी। मृत्यु के करीब 56 दिन बाद सोहन लाल के जो हस्ताक्षर किए गए, वे फर्जी थे।
कई बार पत्राचार के बाद बैंक ने मेल पर दी जानकारी
मुख्य कोषाधिकारी ने जांच रिपोर्ट में बताया है कि बैंक को अधिक भुगतान की वसूली एवं संबंधित देय ब्याज के आगणन के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 20 दिसंबर 2024 से लेकर 30 जनवरी 2025 तक चार बार पत्र लिखे थे। इसके बाद बैंक ने 3 फरवरी को कोषागार मेल पर 1 फरवरी को अधिक भुगतान की गयी मूल धनराशि 60,89,064 रुपये पर देय ब्याज 13,77,085 को जोड़ते हुए 74,66,149 रुपये फर्जी कूटरचित रूप से पेंशन प्राप्त करने की जानकारी दी थी।
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