
खबर रफ़्तार, टोरंटो : प्रधानमंत्री मोदी के साइप्रस दौरे को तुर्किये को संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, तुर्किये पर आरोप है कि उसने साइप्रस के एक तिहाई हिस्से पर साल 1974 से कब्जा किया हुआ है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था और पाकिस्तान को ड्रोन मुहैया कराए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस के निकोसिया स्थित राष्ट्रपति भवन में आधिकारिक स्वागत किया गया। साइप्रस गणराज्य के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय साइप्रस की आधिकारिक यात्रा पर हैं। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली यात्रा है। यहां प्रधानमंत्री मोदी ने निकोसिया में राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलाइड्स से बातचीत की। यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, भूमध्यसागरीय क्षेत्र और यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दिखाती है।
साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की। हमारा मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है। प्रधानमंत्री ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के लिए साइप्रस का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारत-साइप्रस-ग्रीस साझेदारी शुरू की गई है। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि यह दो दशकों से अधिक के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा है। यह आपसी संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का अवसर है।
वहीं, साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने कहा कि हमने विभिन्न क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय संबंधों और तालमेल को बढ़ाने पर चर्चा की। हम रक्षा सहयोग, संकट प्रबंधन, पर्यटन, नवाचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करना चाहते हैं। हम साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए ताकि हम ठोस परिणाम दे सकें।
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