खबर रफ़्तार, मुंबई: शिवसेना (उद्धव) ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान को अनिवार्य बनाने की मांग की है। पार्टी ने बीआरएस और बीजद जैसे दलों पर घोड़ाबाजार और दबाव में चुनाव से दूर रहने का आरोप लगाया। ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया कि ऐसे दलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए। पार्टी ने नए उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन से कानून बनाने की अपील की।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शुक्रवार को एक कड़ी मांग उठाते हुए कहा कि देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान सभी दलों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। पार्टी ने चेतावनी दी कि जो राजनीतिक दल बार-बार ‘घोड़ाबाजार’ में शामिल होते हैं या चुनाव में अनुपस्थित रहते हैं, उनकी मान्यता रद्द होनी चाहिए।
शिरोमणि अकाली दल ने इस चुनाव का बहिष्कार किया। उसने आरोप लगाया कि पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों को न राज्य सरकार से मदद मिली, न केंद्र से और न ही कांग्रेस से। इसी वजह से वे मतदान से दूर रहे।
नई मांगें और सवाल
शिवसेना (उद्धव) ने कहा कि नए उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन को तुरंत कानून बनाना चाहिए, जिससे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के चुनाव में घोड़ाबाजार पर रोक लगाई जा सके। पार्टी ने सवाल उठाया कि जब भाजपा के सहयोगी दल भी ‘घोड़ाबाजार’ की शिकायत करते हैं, तो चुनाव आयोग क्या कर रहा है।
संपादकीय में दावा किया गया कि विपक्षी इंडिया गठबंधन के केवल दो से पांच सांसदों ने ही कथित तौर पर धोखा किया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि क्रॉस-वोट करने वाले सांसदों के लिए विदेश यात्राओं की व्यवस्था की गई। इस तरह शिवसेना (उद्धव) ने साफ किया कि वह संवैधानिक पदों के चुनाव में पारदर्शिता और मजबूती की पक्षधर है।
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