खबर रफ़्तार, मुंबई : शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए उपराष्ट्रपति चुनाव में अपनी संख्या को लेकर आश्वस्त नहीं है, इसलिए विपक्षी दलों से संपर्क कर रहा है। विपक्ष ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुधर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि एनडीए ने सी.पी. राधाकृष्णन को उतारा है। राउत ने राधाकृष्णन के झारखंड के राज्यपाल कार्यकाल पर भी सवाल उठाए।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने बुधवार को बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए को अपनी संख्याबल पर भरोसा नहीं है। इसी कारण एनडीए के नेता विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं। राउत ने सवाल उठाया कि जब बहुमत आपके पास है, तो विपक्ष से समर्थन की जरूरत क्यों पड़ रही है।
दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा कि विपक्षी गठबंधन का संख्याबल भी मामूली नहीं है। विपक्ष ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुधर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा गया है। राउत ने दावा किया कि भाजपा नेताओं ने कई विपक्षी दलों से आधिकारिक तौर पर संपर्क किया और वोट की अपील की।
‘अगर बहुमत है तो संपर्क की जरूरत क्यों?’
राउत ने सीधे सवाल उठाया कि अगर एनडीए को संसद में बहुमत का भरोसा है, तो विपक्षी नेताओं से संपर्क करने की मजबूरी क्यों पड़ी। उन्होंने कहा कि यह साफ संकेत है कि एनडीए की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है जितनी दिखाने की कोशिश की जा रही है। राउत ने आरोप लगाया कि इस बार भी सत्ताधारी गठबंधन अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने से पहले विपक्ष से संवाद करने में नाकाम रहा।
राधाकृष्णन की उम्मीदवारी पर उठाए सवाल
संजय राउत ने भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व राज्यपाल राधाकृष्णन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल थे, तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजभवन से ही गिरफ्तार किया था। राउत के अनुसार यह पूरी कार्रवाई संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ थी। उन्होंने आरोप लगाया कि राधाकृष्णन ने उस वक्त ईडी अधिकारियों को नहीं रोका और न ही संवैधानिक दायरे में अपनी भूमिका निभाई।
‘हमारी लड़ाई तानाशाही के खिलाफ’
राज्यसभा सांसद राउत ने कहा कि विपक्ष की लड़ाई केवल एक पद के लिए नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है। उन्होंने साफ कहा कि विपक्ष तानाशाही प्रवृत्ति और उसे समर्थन देने वाली ताकतों के खिलाफ खड़ा है। उपराष्ट्रपति चुनाव नौ सितंबर को होना है और इस चुनाव को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अपने-अपने उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं।
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