
खबर रफ़्तार, नई दिल्ली : भारतीय सेना को मिला स्वदेशी हथियार नागास्त्र-1 दुश्मनों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। यह लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम हवा में उड़कर दुश्मन की ढूंढ़ लेता है और सही मौका मिलते ही सटीक हमला करता है। इसमें कई सेंसर लगे हैं, जिससे रात में भी ऑपरेशन संभव है। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि ये शस्त्र भारत के लिए कितना अहम है और साथ ही ये भी समझेंगे कि ये कितना ताकतवर है.
भारतीय सेना ने स्वदेश में बने अत्याधुनिक लुइटरिंग म्यूनिशन नागस्त्र-1आर की पहली खेप हासिल कर ली है। नागपुर की सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा बनाए गए इस हथियार को सेना की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए मंगवाया गया है। सेना ने कुल 450 नागस्त्र-1आर मंगाने का ऑर्डर दिया है। यह एक ऐसा हथियार है जो दुश्मन पर नजर रखने के साथ-साथ उसे हवा में ही खोजकर तबाह करने की क्षमता रखता है।
खास बात ये है कि यह सिस्टम पूरी तरह से देश में बना है और इसमें 80 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। इसमें कई सेंसर लगे हैं, जिससे रात में भी ऑपरेशन संभव है। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि ये शस्त्र भारत के लिए कितना अहम है और साथ ही ये भी समझेंगे कि ये कितना ताकतवर है.
नागस्त्र-1 एक लोइटरिंग म्यूनिशन है, जिसे आम भाषा में ‘घूमकर हमला करने वाला हथियार’ कहा जा सकता है। यह एक तरह से हवाई एंबुश यानी घात लगाकर हमला करता है। दुश्मन के इलाके में उड़कर पहुंचने के बाद यह लक्ष्य के ऊपर हवा में मंडराता है और जैसे ही सही मौका मिलता है, यह सटीक निशाना लगाकर दुश्मन को खत्म कर सकता है। खास बात यह है कि अगर हमला रद्द करना हो तो इसे वापस भी बुलाया जा सकता है, जिससे यह दुबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
GPS आधारित सटीक हमला
नागस्त्र-1 को जीपीएस आधारित तकनीक से लैस किया गया है, जिससे यह दुश्मन पर बेहद सटीक हमला कर सकता है। कंपनी के मुताबिक, यह 2 मीटर सीईपी यानी सिर्फ 2 मीटर के भीतर ही निशाना लगाने में सक्षम है। इतना ही नहीं, जब यह कामिकाजे मोड (आत्मघाती हमला) में जाता है, तो यह दुश्मन के ठिकानों पर खतरनाक हमला कर सकता है, जिससे दुश्मन को भारी नुकसान होता है।
रडार से बच निकलने की खासियत
नागस्त्र-1 को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह दुश्मन की रडार तकनीक से बच निकलता है। यह 4,500 मीटर से ज्यादा ऊंचाई तक उड़ सकता है और वहां से दुश्मन पर नजर रख सकता है। इसकी यह खूबी इसे दुश्मन के इलाके में गुपचुप पहुंचने और वहां से सुरक्षित हमले करने में मदद करती है। खासतौर पर आतंकवादियों के काफिले पर इसका इस्तेमाल कारगर हो सकता है।
रेंज और संचालन क्षमता में सबसे आगे
इस फिक्स्ड-विंग इलेक्ट्रिक यूएवी की ‘मैन-इन-लूप’ रेंज 15 किलोमीटर है, जबकि ऑटोनोमस मोड में यह 30 किलोमीटर तक ऑपरेट हो सकता है। इसकी एंड्योरेंस यानी हवा में लगातार बने रहने की क्षमता 60 मिनट तक की है। यानी यह एक घंटे तक दुश्मन के इलाके में मंडराता रह सकता है और जैसे ही मौका मिले, हमला कर सकता है।
विदेशी हथियारों पर भारी ये हथियार
नागस्त्र-1 को भारत में ही डिजाइन और डेवलप किया गया है। इसे बेंगलुरु की जेज मोशन ऑटोनोमस सिस्टम्स कंपनी के साथ मिलकर विकसित किया गया है। इसमें 75 फीसदी से ज्यादा देश की ही सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह विदेशी हथियारों की तुलना में सस्ता, ज्यादा भरोसेमंद और दुबारा इस्तेमाल होने वाला है। दुनिया के अमीर देशों में बने ऐसे हथियारों में दुबारा इस्तेमाल और हमला रोकने की सुविधा कम ही देखने को मिलती है।
रिट्रीवल सिस्टम: पैराशूट से वापसी की सुविधा
अगर किसी वजह से मिशन को बीच में रोकना पड़े, तो नागस्त्र-1 को पैराशूट रीकवरी सिस्टम की मदद से वापस बुलाया जा सकता है। यह इसे खास बनाता है, क्योंकि इससे सिस्टम को नुकसान नहीं होता और भविष्य में इसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे लागत भी कम होती है और सेना की तैयारियों में निरंतरता बनी रहती है।
रात में भी दुश्मन पर नजर रखने की ताकत
नागस्त्र-1 में 360 डिग्री जिम्बल कैमरा लगा है, जिससे यह हर दिशा में नजर रख सकता है। इसके साथ ही इसमें थर्मल कैमरे लगाने का विकल्प भी है, जिससे रात के समय या कम रोशनी में भी दुश्मन पर नजर रखी जा सकती है। यह ऑपरेशन के दौरान बेहद अहम साबित होता है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम
नागस्त्र-1 की पहली खेप सेना को मिलना भारत की रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सेना ने आपातकालीन खरीद नीति के तहत कुल 480 लोइटरिंग म्यूनिशन का ऑर्डर दिया है। यह देश के सैन्य ढांचे को और मजबूत करेगा। आने वाले समय में ऐसे और भी अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार सेना को मिल सकते हैं।
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