ख़बर रफ़्तार, गाजियाबाद : मेडिकल छात्रा लक्ष्मी गुप्ता की हत्या का पर्दाफाश नौ महीने बाद भी मोदीनगर पुलिस नहीं कर सकी है। इस अंतराल में दो कोतवाल व एसीपी बदल चुके हैं। जांच के लिए अलग-अलग एसीपी को जिम्मेदारी दी गई। लेकिन कोई भी साक्ष्य नहीं जुटा पाए। अब मोदीनगर एसीपी इसमें जुटे हैं।
पुलिस की जांच में फिलहाल छह प्राइम सस्पेक्ट हैं, लेकिन इनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। इन पर बार-बार बयान बदलने का भी आरोप है। छह आरोपितों का नार्को टेस्ट होना है। कोर्ट से पुलिस को नार्को की अनुमति मिल चुकी है। लेकिन इससे पहले अब सभी का पॉलीग्राफी टेस्ट भी होगा।
अब तक घटना में पुलिस पूरी तरह उलझी हुई है। तमाम लोगों से पूछताछ के बाद भी कोई साक्ष्य पुलिस के हाथ नहीं लगा है। पुलिस को उम्मीद है कि पालीग्राफी से साक्ष्य मिल सकते हैं।
ये होता है पॉलीग्राफी टेस्ट
पॉलीग्राफी टेस्ट को लाई डिटेक्टर मशीन यानी झूठ पकड़ने वाली मशीन से किया जाता है। इसमें व्यक्ति के शरीर पर तमाम स्ट्रीप लगाई जाती है। इस टेस्ट के अंतर्गत सच जानने के लिए इंसान की फिजिकल और मेंटल एक्टिविटी को नापा जाता है। टेस्ट के दौरान कुछ सवाल किए जाते हैं।
इन सवालों के जवाब देते वक्त मशीन इंसान की सभी तरह की एक्टिविटी का चार्ट तैयार करती है। यह मशीन अपराधियों से जरूरी जानकारी और सच उगलवाने के लिए बनाई गई है। इसमें हार्टबीट, श्वसन दर, होठ हिलाने जैसी तमाम चीजों को नोट किया जाता है।
यह है मामला
उन्नाव के छपरा मऊ की लक्ष्मी गुप्ता मोदीनगर के दिव्य ज्योति शिक्षण संस्थान में बीएएमएस तीसरे वर्ष की छात्रा थी। वे निवाड़ी रोड पर सूर्या एनक्लेव कॉलोनी में मनोज शर्मा के घर पर किराये के कमरे में रहती थी। 15 जून 2023 को लक्ष्मी का शव कमरे में चौखट से लटका मिला। साथ में एक नोट भी मिला।
पुलिस इसे आत्महत्या मान रही थी, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि हुई तो हत्या का मामला दर्ज किया गया। फिलहाल पुलिस के प्राइम सस्पेक्ट में मकान मालिक, उनका बेटा, एक किरायेदार व लक्ष्मी के तीन दोस्त हैं।
संदिग्धों के टेस्ट कराने की पुलिस की तरफ से तैयारी पूरी है। तारीख मिलने का इंतजार है। उम्मीद है कि इसके बाद घटना का पर्दाफाश हो सकेगा।

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