52 करोड़ की GST चोरी में कानपुर का सरिया निर्माता गिरफ्तार, छापेमारी के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

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ख़बर रफ़्तार, कानपुर : महानिदेशालय जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) की टीम ने कानपुर में राधे-राधे इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर और इसके डायरेक्टर के आवास पर छापा मारकर 52 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी है. इस मामले में कंपनी के निदेशक नवीन जैन को गिरफ्तार कर विशेष मुख्य नायक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. बता दें कि इससे पहले इत्र कारोबारी पीयूष जैन का नाम कर चोरी के मामले में चर्चा में रहा था.

अफसरों ने कहा- नवीन जैन आदतन कर चोरी करने वाला

डीजीजीआई के अफसरों को जानकारी मिली थी कि मलवा (फतेहपुर) स्थित राधे-राधे इस्पात प्राइवेट लिमिटेड में कर चोरी की जा रही है. इस पर टीम ने फतेहपुर स्थित फैक्ट्री के अलावा फजलगंज स्थित कार्यालय और किदवई नगर स्थित आवास पर छापा मारा. छापे में सामने आया कि कंपनी में 52 करोड़ रुपये की कर चोरी की गई है. टीम ने कंपनी के निदेशक नवीन जैन को गिरफ्तार कर लिया. नवीन को डीजीजीआई के अधिकारियों ने विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कुमुद लता त्रिपाठी की कोर्ट में पेश किया. अधिकारियों ने उन्हें आदतन कर चोरी वाला बताया है. न्यायालय ने निदेशक नवीन जैन को 52 करोड़ की कर चोरी में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. इस पूरे मामले की पुष्टि विशेष लोक अभियोजक अम्बरीश टंडन ने की है.

9 जुलाई को होगी इस मामले की अगली सुनवाई

विशेष लोक अभियोजक अम्ब मरीश टंडन ने बताया कि डीजीजीआई लखनऊ की टीम ने बुधवार को राधे-राधे इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक नवीन जैन को अरेस्ट किया है. अब इस मामले की सुनवाई 9 जुलाई को होगी. कंपनी का संचालन फजलगंज स्थित सिग्मा हाउस से किया जाता है. विवेचक की तरफ से अदालत में बताया गया कि मामले की विवेचना प्रचलित है. इसलिए अभियुक्त का रिमांड स्वीकृत किया जाए. अदालत ने अभियुक्त को फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है.

उद्यमियों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं

बुधवार देर शाम जब टीम ने उद्यमी नवीन जैन को हिरासत में लेकर जेल भेजा तो कानपुर में इस हाई प्रोफाइल मामले की चर्चा उद्यमियों के बीच शुरू हो गई. तमाम उद्यमियों का यह कहना था कि कर चोरी को लेकर नवीन जैन को सतर्कता बरतनी चाहिए थी, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनका यह कहना था कि डीजीजीआई की ओर से जो छापेमारी की गई है, इसकी कोई सूचना भी नहीं मिली थी.

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