
खबर रफ़्तार, अल्मोड़ा: नायब सूबेदार और सेना मेडल से सम्मानित इंदर सिंह अधिकारी ने एक बार फिर उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। इंदर ने हाल ही में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
रानीखेत के नैनी (मजखाली) निवासी नायब सूबेदार और सेना मेडल से सम्मानित इंदर सिंह अधिकारी ने एक बार फिर उत्तराखंड का मान बढ़ाया है। इंदर ने हाल ही में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इंदर इंडियन आर्मी सिल्वर जुबली एवरेस्ट एक्सपीडिशन के तहत चले साहसिक अभियान का हिस्सा बने। 10 अप्रैल 2025 को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हरी झंडी दिखाकर अभियान की शुरुआत की थी। कुल 32 सदस्यीय इस टीम का नेतृत्व कर्नल मनोज जोशी ने किया। कठिन परिस्थितियों और विषम मौसम के बावजूद दल ने 27 मई की सुबह विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को सफलतापूर्वक फतह किया।
खास बात ये रही कि इस दल के 22 सदस्यों ने एक साथ एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह मिशन भारतीय सेना ने 23 मई 2001 को हुए पहले एवरेस्ट आरोहण की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया था। इंदर सिंह अधिकारी इससे पूर्व माउंट राजरंभा, त्रिशूल, देव टिब्बा, कामेत, भणौती, मकालू आदि चोटियों की चढ़ाई चढ़ चुके हैं। उनकी इस उपलब्धि पर उनकी पत्नी संगीता अधिकारी, भाई आनंद अधिकारी, बेटियां अदिति, अनन्या आदि ने खुशी जताई है।
चुनौतियों का मुकाबला कर सपनों को हकीकत बनाएं
भारतीय सेना में नायब सूबेदार एवं रानीखेत तहसील अंतर्गत नैनी (मजखाली) निवासी इंदर सिंह अधिकारी ने अपने अनुभव साझा करते हुए युवाओं को संदेश दिया कि सपनों को सच में बदलने के लिए चुनौतियों का डटकर मुकाबला करें।
फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया। कहा कि बड़े सपने देखें और उन्हें सच साबित करने के लिए कभी हार न मानें, भले ही कितनी ही कठिनाइयां क्यों न आएं। सकारात्मक सोच के साथ निरंतर प्रयास करने से कोई भी कठिनाई पार हो सकती है।
बताया कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए वह वर्ष 2012 से लगातार प्रयासरत रहे और करीब 13 साल की मेहनत व समर्पण के बाद उन्हें सफलता मिली। इसके लिए शरीर को पूरी तरह स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए शारीरिक और मानसिक मजबूती अत्यधिक मददगार होती है।
बताया कि एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान उन्हें तेज ठंड, ऑक्सीजन की कमी, शारीरिक थकान जैसी कठिन दिक्कतें झेलनी पड़ीं और खतरनाक ग्लेशियरों का सामना करना पड़ा। उच्च जोखिम के बीच टीम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी एक बड़ी चुनौती थी लेकिन सपना पूरा करने के लिए हिम्मत और एकजुटता से मिशन को सफल बनाया। इंदर की इस सफलता ने साबित कर दिया कि अगर मन में जज्बा और दृढ़ संकल्प हो तो मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।
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