खबर रफ़्तार, देहरादून: नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के शोधपत्र में 22 प्रतिशत महिलाओं के प्रसवोत्तर अवसादग्रस्त होने का खुलासा हुआ है। प्रसव के बाद तीन तरह के मनोवैज्ञानिक विकार की चपेट में महिलाएं आ रही हैं।
प्रसवोत्तर अवसाद की चपेट में आईं माताओं के अंदर नवजात के प्रति ममत्व का अहसास खत्म हो रहा है। 20,043 महिलाओं पर हुए शोध में 22 प्रतिशत महिलाएं प्रसवोत्तर अवसाद से ग्रस्त मिलीं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के शोधपत्र में इस बात का खुलासा हुआ है।
प्रसव के बाद महिलाएं पोस्टपार्टम (प्रसवोत्तर) अवसाद, प्रसवोत्तर ब्लूज और प्रसवोत्तर मनोविकृति आदि तीन तरह के मनोवैज्ञानिक विकार से जूझ रही हैं। इसका मां और बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है। शोध में पूर्व में किए जा चुके 30 से भी अधिक अध्ययनों को आधार बनाया गया। साथ ही 20 हजार से भी अधिक ऐसी महिलाओं को शामिल किया गया जो हाल ही में मां बनी थीं। इस अध्ययन में दक्षिण, पश्चिम और उत्तर भारत के शहरी क्षेत्रों और अस्पतालों को शामिल किया गया। इसमें 25 वर्ष और इससे अधिक आयु वर्ग की महिलाओं को शामिल किया गया।
 
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            
 
                 
                                     
                                     
                                     
                             
                                                         
                                
                         
                                                 
                                                 
                                                 
                                                
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