इंसानों की सुरक्षा बनी चुनौती, बाघ के बदलते मूवमेंट ने बढ़ाई चिंता, ऐसा है हमलों का आंकड़ा

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ख़बर रफ़्तार, नैनीताल:  कॉर्बेट नेशनल पार्क से लगे बाहरी क्षेत्रों में बाघ का बढ़ता मूवमेंट और हमले की घटनाएं चिंतित करने लगी हैं। ढिकाला क्षेत्र में दो श्रमिकों की बाघ के हमले में मौत के बाद अब वन अधिकारियों की परेशानी बढ़ गई है। इस समय पर्यटन सीजन भी चल रहा है। इसलिए मेहमानों की सुरक्षा कॉर्बेट पार्क प्रशासन की प्राथमिकता में है।

ढिकाला में हमले के बाद प्रारंभिक तौर पर ग्रासलैंड में सफारी रोकी गई है। योजना है कि जंगल से बाहर के क्षेत्रों में भी गश्त बढ़ाई जाए। कॉर्बेट पार्क में सवा महीने में ही बाघों के हमले की तीन घटनाएं हो चुकी हैं। इससे पार्क प्रशासन अपने स्टाफ व पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गया है।

शिकार बढ़ने से बाघ कर रहे हमले

कॉर्बेट के बाहरी क्षेत्रों में भी हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बाहर बाघों को पालतू मवेशी व आवारा पशु शिकार के लिए आसानी से मिल जाते हैं। इसी क्रम में बाघ इंसानों पर भी हमला कर दे रहे हैं।

बाघ के हमलों के इतने मामले आए सामने

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के भीतर वन कर्मियों व दैनिक श्रमिकों पर हमले की बात छोड़ भी दें तो बाहरी क्षेत्रों में 15 सालों में 28 लोगों को बाघों के हमले में जान गंवानी पड़ी है। मृतकों की इस सूची में 12 महिलाएं हैं।

इंसानों के इलाकों में दिख रहे बाघ

इंसानी आवाजाही से व्यस्त रहने वाले कोसी बैराज, बाईपास पुल, कोटद्वार रोड, पंपापुरी, टेड़ा रोड पर भी अक्सर बाघ देखे जा रहे हैं। कार्बेट के बाहरी क्षेत्रों में हमले की घटनाएं कार्बेट से सटे नेशनल हाईवे मोहान पर बाघ ने बाइक सवार मुरादाबाद के युवक अफसारुल को मार डाला था। 13 दिसंबर को एक फौजी बहादुर सिंह बिष्ट व 24 दिसंबर को स्थानीय युवक नफीस को मार डाला।

हर साल हमले से हो रही मौत

इससे पूर्व कॉर्बेट के बाहर बाघों ने वर्ष 2009 में भगवती देवी, 2010 में कांति देवी, नंदी देवी, कल्पना महरा, रेवती देवी, 2011 में शांति देवी, पूरन चंद्र, 2013 में राकेश कुमार, 2014 में हरनंदी, 2014 में रामचरण सिंह, 2016 में ममता, गोविंदी देवी, परमजीत, कृष्णपाल सिंह व हरी राम को मार डाला। कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों के हमले की निरंतर बढ़ती घटनाएं चिंतित करने लगी हैं। यहां अक्सर बाहरी क्षेत्रों में बाघ घूमते हुए दिख जा रहे हैं।

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