खबर रफ़्तार, हल्द्वानी: खुद मजदूर था, लेकिन चाहता था कि बच्चों को उसकी तरह दुश्वारियां ने झेलनी पड़े। इसीलिए जय सिंह सालों पहले परिवार लेकर हल्द्वानी आ गया। कड़ी धूप, कड़कड़ाती ठंड और बरसात में भी जय सिंह पसीना बहाता रहा और अपने इकलौते बेटे और बेटी को पेट काट कर पढ़ता रहा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। पिता का सपना मौत निगल गई और साथ में सपना साकार करने वाले बेटे को भी। जय में जय के बेटे के जिगरी दोस्त की भी मौत हुई और जब दोनों कफन में लिपटे शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो देखने वालों का कलेजा दहल गया।
मलकपुर थाना भुता जिला बरेली उत्तर प्रदेश के रहने वाले जय सिंह मौर्य बेहद निम्न परिवार में पैदा हुए। परिजनों की मानें महज 35 साल के जय सिंह अपनी जैसी गुरबत भरी जिंदगी अपने बच्चों को नहीं देना चाहते थे। इसी वजह से शादी के बाद वर्ष 2008 में वह पत्नी रीना, बेटी कमलेश और बेटे भूपेंद्र के साथ गांव छोड़कर हल्द्वानी आ गए। जय अपनी पत्नी रीना के साथ यहां सुरेश के फार्म पर मजदूरी करने लगे। जय की ज्यादा हैसियत नहीं थी, लेकिन फिर भी बच्चों को लगातार स्कूल भेजते थे। उनका बेटा अपने दोस्त शिवम के साथ 8वीं में पढ़ता था।
मंगलवार को भी जब वह किताबें लेने जा रहे थे तो बेटे को भी साथ ले लिया। बेटे के जिगरी दोस्त शिवम को पता लगा तो उसने भी साथ चलने की जिद्द कर दी। जय ने उसे भी बाइक पर बैठा लिया, लेकिन किताबों की दुकान तक नहीं पहुंच पाए। ट्रक ने तीनों को कुचल दिया। जय को सीधे डॉ.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय भेज दिया गया। जबकि जिगरी दोस्तों को कालाढूंगी रोड स्थित एक निजी चिकित्सालय ले जाया गया। यहां उन्हें मृत घोषित कर दिया। निजी अस्पताल में कागजी कार्रवाई में देरी हुई। इधर, एसटीएच के जय के शव को मॉर्चरी भेज दिया गया। दोपहर की घटना और कागजी कार्रवाई में देरी की वजह से शाम करीब साढ़े पांच बजे ही एक ही एंबुलेंस से दोनों दोस्तों के शव सफेद कफन में लिपटे पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो देखने वालों के दिल में हूक उठ गई। अब घर में सिर्फ रीना और उसकी इकलौती बेटी कमलेश बची है।
हादसे की खबर सुनकर पहुंचे गजराज
हल्द्वानी : यह घटना करीब डेढ़ से दो बजे के बीच की है। एक साथ तीन मौतों की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। किसी ने मेयर गजराज बिष्ट को भी घटना की जानकारी दी। जिसके बाद वह सीधे पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए, लेकिन यहां जय सिंह के शव के सिवा और कोई नहीं था। दोनों बच्चों के निजी चिकित्सालय में थे। गजराज अपनी संवेदना व्यक्त करने आए थे और करीब आधे घंटे तक पोस्टमार्टम में रुके, लेकिन जब देर हुई तो वह भी वापस चले गए।
मां को नहीं दी बेटों के मौत की खबर
शहर में तीन मौतों की खबर पर तेजी से चर्चा हो रही थी, लेकिन जय सिंह के परिवार के लोग इससे अंजान थे। हालांकि जानकारी उनके इलाके तक पहुंच चुकी थी, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उनकी पत्नी व अकेली बची बेटी को मौत की खबर कैसे सुनाएं। किसी ने कहाकि उत्तर प्रदेश से परिवार के अन्य सदस्यों को आ जाने दो, इसके बाद ही घटना के बारे में जय की पत्नी व उनकी बेटी को दी जाए और जैसे ही उन्हें इसके बारे में पता लगा तो कोहराम मच गया।
भागा नहीं चालक, खुद पहुंचाया अस्पताल
पुलिस के मुताबिक ट्रक चालक एक जेसीबी को ओवरटेक कर रहा था। उसे आभास ही नहीं हुआ कि कब जय सिंह की मोटर साइकिल दोनों बच्चों के साथ उसके ट्रक के नीचे आ गई। उसे घटना का आभास होता, तब तक देर हो चुकी थी। हालांकि घटना के बाद अन्य चालकों की तरह की तरह ट्रक चालक ने भागने की कोशिश नहीं की। उसने खुद लहूलुहान दोनों बच्चों को सड़क से उठाया और अस्पताल पहुंचाया, लेकिन उसकी इस कोशिश का फायदा नहीं हुआ।
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