ख़बर रफ़्तार, हल्द्वानी: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) को शुरू हुए पांच वर्ष बीत गए। यहां कम दरों पर मिलने वाली जेनेरिक दवाइयों को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी, दुकानें भी खुली। सरकारी अस्पतालों के अधिकांश डॉक्टरों ने जेनेरिक दवाइयां लिखनी भी शुरू कर दी हैं, मगर इसके बाद भी लोग योजना का पूरा लाभ पाने से अब तक वंचित हैं।
इसके कारण, निजी अस्पतालों के डॉक्टर इन दवाओं से दूरी बनाए हुए हैं। वह मरीजों को जेनेरिक दवा नहीं लिख रहे। इसके अलावा जन औषधि केंद्रों में समय पर दवाइयों की उपलब्धता भी नहीं हो पा रही है। जिले में ही जन औषधि केंद्रों की संख्या 30 है और इनमें 40 प्रतिशत दवाइयों की कमी हर समय बनी रहती है।
दवा दुकानदारों का कहना है कि शुगर, ब्लड प्रेशर, हार्ट से संबंधित बीमारियों की दवाइयों की बिक्री सबसे अधिक होती है। इनकी मांग वर्ष भर रहती है। बाकी दवाएं सीजनल रहती हैं। दुर्भाग्य है कि यही दवाएं समय पर उपलब्ध नहीं होती हैं। कई बार आर्डर करने के तीन से पांच महीने बाद आपूर्ति होती है। इससे रोगियों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है। यही नहीं, कुमाऊं में इस समय कोई भी डीलर आपूर्ति नहीं कर रहा है। इसके चलते दिल्ली, देहरादून से दवाइयां मंगवानी पड़ती हैं।
कुछ दुकानें हो गई बंद
शहर में पिछले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खुलते रहे और उसी गति से बंद भी होते रहे। फिलहाल जिले में केवल 30 केंद्र हैं। इसमें भी 92 प्रतिशत दुकानें हल्द्वानी शहर में ही हैं। आसपास खुली जन औषधि केंद्रों का संचालन बंद हो गया। एक दुकानदार ने बताया कि बंद होने का कारण डॉक्टरों का जेनेरिक दवा न लिखना और दवाइयों में उचित लाभ नहीं मिलना रहा। सबसे बड़ी समस्या समय पर दवाइयां न मिलना भी था।
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एसटीएच में शाम पांच बजे बाद नहीं मिलता लाभ
कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के अंदर भी जन औषधि केंद्र हैं, लेकिन इसकी सेवा सुबह नौ से शाम पांच बजे तक ही रहती है। जबकि अस्पताल में 24 घंटे मरीज पहुंचते रहते हैं। रात में इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पाता है।
अधिकारियों ने कही ये बात
जेनेरिक दवाइयां 50 से 90 प्रतिशत सस्ती हैं। अगर ब्लड प्रेशर की ही एथिकल में 15 गोलियों का एक पत्ता 46 रुपये का है। वही पत्ता जन औषधि केंद्र में छह रुपये का है। इस दवा को लेने वाले नियमित ग्राहक होते हैं, लेकिन समय पर दवा की आपूर्ति न होने से परेशानी हो रही है। – विवेक पांडे, मुखानी
जनऔषधि केंद्रों में जेनेरिक दवाइयां की आपूर्ति को नियमित किया जाए। बीच-बीच में दवाइयां की कमी हो जाती है। इसलिए भी उचित लाभ न ही मरीजों को मिल पाता है और न ही दवा दुकानदारों को। वैसे यह योजना बेहतरीन है। – नरेंद्र पवार, बरेली रोड
जन औषधि केंद्रों के संचालकों की बैठक बुलाई थी और दवाओं स्थिति की ली थी। दुकानदारों ने दवाइयों की आपूर्ति कम होने की बात कही थी, लेकिन अब दवाइयां आने लगी हैं। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को भी जेनेरिक दवाइयां ही लिखने को निर्देशित किया है। – डा. भागीरथी जोशी, सीएमओ नैनीताल
एसटीएच में जन औषधि केंद्र को 24 घंटे खोलने को कहा गया है। अस्पताल के अंदर भी 400 तरह की दवाएं हैं। हर सप्ताह डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां ही लिखने को पत्र लिखा जाता है। इसका असर भी दिख रहा है। – प्रो. अरुण जोशी, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
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