रेल ट्रैक पर गंगा का कहर: बहा ले गई 50 बीघा आम का बाग

खबर रफ़्तार, बिजनौर: गंगा की धारा बालावाली रेलवे स्टेशन के नजदीक तक आ पहुंची है। रेल पुल के पास धारा का रुख बदल गया। वहीं रेलवे की टीम तैयार है। रेल ट्रैक और रेल पुल के गाइडबंध को बचाने के लिए पुराने स्लीपर डाले जा रहे हैं।

बिजनौर के बालावाली में गंगा की धारा ने बहाव का रुख बदल लिया है। खेतों का कटान कर रही गंगा की धारा अब सीधे जम्मू तवी-कोलकाता रेल ट्रैक पर टक्कर मार रही है। ऐसे में रेल ट्रैक के साथ-साथ बालावाली रेल पुल का गाइडबंध भी खतरे में आ गया है। हालांकि रेलवे का अमला कटान को रोकने की जद्दोजहद में लगा है।

बृहस्पतिवार को भी बालावाली रेलवे स्टेशन और रेल पुल के पास गंगा की धारा तेजी से कटान करती रही। ऐसे में रेलवे की ओर से पूरा अमला जेसीबी और अन्य तमाम संसाधन के साथ पुराने रेल पुल के पास मौजूद रहा। रेलवे की ओर से बालावाली में रेल पुल के गाइड बंध को कटान से बचाने के लिए पुराने स्लीपर डाले गए। पुराने स्लीपर के साथ-साथ रेलवे ने पत्थर का पूरा स्टॉक भी तैयार कर रखा है। साथ ही पत्थरों को गंगा की धारा में स्टड के रूप से डालने के लिए तार के जाल बनाने का काम भी होता रहा।
पुल को छोड़ गाइड बंध के बाहर आ गई गंगा की धारा
यूं तो गंगा की मुख्य धारा रेल पुल के नीचे से होकर गुजरनी थी, लेकिन गंगा की धारा ने ऐसा रुख बदला कि पुल को छोड़कर और गाइडबंध के बाहर आ गई। जो कि सीधे रेलवे ट्रैक में टक्कर मार रही है, हालांकि रेलवे ट्रैक के पास बाढ़ निरोधी पत्थरों से टकराकर धारा वापस हो रही है।
24 घंटे में कर दिया 100 मीटर तक जमीन का कटान
बालावाली रेलवे स्टेशन के पास गंगा की धारा ने बुधवार दोपहर से लेकर बृहस्पतिवार की दोपहर तक तेजी से कटान किया। गंगा करीब 100 मीटर से अधिक तक कटान कर चुकी है।

दो दिन में ही खत्म हो गया 50 बीघा बाग का अस्तित्व
गंगा की धारा के मुहाने पर करीब 50 बीघा जमीन में आम का बाग हुआ करता था। बृहस्पतिवार की दोपहर 2:00 बजे तक इस बाग में केवल 10 से 15 पेड़ ही बचे थे बाकी पूरी जमीन और सैकड़ों पेड़ गंगा की धारा के आगे टिक नहीं पाए और पानी के साथ बहते हुए चले गए।

25 साल पहले तीन किलोमीटर दूर हुआ करती थी गंगा
बालावाली से सटे हुए गांव गौसपुर के नजदीक गंगा की धारा बह रही है। बृहस्पतिवार को बालावाली पुल पर पहुंचे गौसपुर के ग्रामीणों ने बताया कि साल 2000 के आसपास गंगा की धारा उनके गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर हुआ करती थी, लेकिन अब धारा गांव के पास बह रही है।
आबादी तो बची, जंगल गंगा में समा गया
गौसपुर गांव के ठीक सामने करीब 60 करोड़ रुपये की लागत से बाढ़ नियंत्रण कार्य कराए गए हैं। ऐसे में गांव की आबादी तो गंगा के कटान से बच गई लेकिन करीब 2000 बीघा जमीन गंगा में समा चुकी है। फिलहाल गंगा की धारा गांव की आबादी से महज 50 मीटर की दूरी पर बह रही है लेकिन गांव वालों के खेत गंगा में चले गए।
उत्तराखंड में मिली राहत, बिजनौर के तीन गांव बेहाल
बालावाली के पास गांव गौसपुर, लालपुर सोज़ीमल और बेहड़ा गांव के खेत गंगा में समा रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि गंगा के उस पार उत्तराखंड के गांव हैं। उत्तराखंड ने तो अपनी सीमा में तटबंध और स्टड बना लिए थे जिसके चलते उनके गांव में राहत मिली है। लेकिन इधर बिजनौर की सीमा वाले गांव में जमीन कटान की जद में लगातार आ रही है।
रेल फाटक मौजूद रास्ता गंगा में समाया
बालावाली से गौसपुर गांव तक जाने के लिए एक रास्ता हुआ करता था। इस मार्ग पर बालावाली में रेलवे फाटक भी बना हुआ है। अब बालावाली से जैसे ही गौंसपुर की तरफ चलते हैं तो रेल फाटक पार करने के कुछ कदम के बाद ही रास्ता खत्म हो जाता है क्योंकि यह रास्ता पूरी तरह से गंगा में समा चुका है।
कभी भरता था बाढ़ का पानी अब बह रही धारा
बालावाली में गंगा पर बने रेल पुल और बाला वाली रेलवे स्टेशन के बीच एक झील हुआ करती थी जिसमें कभी बाढ़ का पानी भर जाया करता था। अब उस जगह पर सीधे गंगा की धारा आकर पीछे की तरफ लौट रही है। गंगा की धारा रेलवे ट्रैक के मुहाने पर आकर पीछे की तरफ वापस हो रही है।
पाइप लाइन में तेल की जगह छोड़ा गया पानी का प्रेशर
पानीपत से नजीबाबाद तक जमीन के नीचे इंडियन ऑयल की तेल पाइपलाइन बिछी हुई है। बालावाली में रेलवे पुल के पास यह पाइपलाइन कटान के मुहाने पर आई और जमीन के ऊपर नजर आने लगी। पाइपलाइन को भी गंगा की धारा सीधे टक्कर दे रही है ऐसे में इंडियन ऑयल की एक टीम लगातार तीन दिनों से मौके पर मौजूद है। फिलहाल पाइपलाइन में तेल की आपूर्ति बंद करते हुए पानी छोड़ा गया है, जिससे की पाइपलाइन फटने का पता लग सके और हादसे से बचा जा सके।

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