
खबर रफ़्तार,नैनीताल : कुमाऊं मंडल में वन महकमे की पांच महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां एक आइएफएस अफसर के कंधों पर डाल दी गई हैं। ऐसे में विभागीय कामकाज पर असर पड़ना तय है। विभागीय मुखिया इसकी वजह वन संरक्षक स्तर के अफसरों की कमी मान रहे हैं लेकिन यह कमी केवल कुमाऊं मंडल में क्यों हो रही है, इसका जवाब विभाग के पास नहीं है।
हाल ही में वन विभाग की ओर से आइएफएस अफसरों के तबादले किए गए थे। जिसमें कुमाऊं में दक्षिणी कुमाऊं के वन संरक्षक मान सिंह का भी तबादला कर दिया गया था। बताया जाता है कि मुख्य वन संरक्षक स्तर के मान सिंह को वन संरक्षक बनाने के बाद विभाग में अंदरखाने खूब हलचल मची तो तब उनका तबादला कर दिया गया।अब वन महकमे में मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पीके पात्रो को चीफ कुमाऊं के साथ ही चार अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। इसमें वन संरक्षक दक्षिणी व पश्चिमी कुमाऊं के अलावा बागेश्वर व चंपावत जिले की कार्ययोजना का चार्ज भी शामिल है। विभागीय सूत्रों के अनुसार गढ़वाल मंडल में वन संरक्षक पदों पर अफसरों की तैनाती है लेकिन कुमाऊं में ही चीफ कुमाऊं को दो अन्य वन संरक्षक के साथ ही दो जिलों की कार्ययोजना का दायित्व दिया गया है।
पांच-पांच जिम्मेदारियों की वजह से पीके पात्रो पर काम का बोझ बढ़ गया है तो इससे विभागीय कार्यालयों में अनुशासन समेत अन्य कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। यह तब है जब मुख्यालय स्तर पर भी वन संरक्षक स्तर के अफसरों को संबद्ध किया गया है।
विनोद कुमार सिंघल, पीसीसीएफ हेड आफ फोरेस्ट डिपोर्टमेंट का कहना है कि वन विभाग के पास वन संरक्षक स्तर के अफसरों की कमी है। स्वीकृत 11 पदों में दो ही अफसर हैं। इस वजह से अफसरों को एक से अधिक चार्ज देने पड् रहे हैं।
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