हल्द्वानी। 11 दिन बाद भी आमदखोर बाघ को ढूंढने में वन विभाग की टीम असफल रही है। फतहेपुर रेंज के जंगल में आदमखोर को ढूंढना वन विभाग के लिए मुश्किल होता जा रहा है। अलग-अलग रेंज के करीब 200 कर्मचारी, 80 कैमरा ट्रैप और पिंजरे लगाने के बावजूद हाथ अब तक खाली ही हैं। गुजरात से बुलाई गई 30 लोगों की ट्रेकुलाइजिंग टीम भी मचान से 150 घंटे जंगल की निगरानी कर चुकी है लेकिन आदमखोर उनकी नजरों के सामने आया ही नहीं।
फतेहपुर रेंज के जंगल में अब तक छह लोगों की जान जा चुकी है। स्थानीय लोगों के दबाव और बाघ की दहशत को देखते हुए 23 फरवरी से वन विभाग ने उसे तलाशने का अभियान शुरू किया था। जंगल में गश्त करने के लिए दो हथिनियां मंगाई गई, जिससे कि ट्रेंकुलाइजिंग टीम इन पर बैठकर बाघ को खोज कर सके।
बाघ को आदमखोर घोषित करने के बाद वन विभाग ने फतेहपुर रेंज में ट्रैप कैमरे लगाए। रामनगर, नैनीताल, हल्द्वानी फॉरेस्ट डिविजन से करीब 200 कर्मियों को बुलाकर सड़क मांर्गों व अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से फतेहपुर रेंज के जंगल में जाने वाले रास्तों में ड्यूटी पर लगाया गया।
आदमखोर घोषित होने के बाद बाघ को मारने के लिए बीती 4 अप्रैल को तीन शिकारियों का दल बुला लिया गया। जो कि 7 अप्रैल तक जंगल में बने मचान से बाघ के दिखने का इंतजार करते रहे। इसके बाद वे भी वापस लौट गए। अब फतेहपुर के जंगल में गुजरात से आए 30 लोग बतौर ट्रेंकुलाइजिंग टीम काम कर रहे हैं।
शाम 5 बजे से होती है ड्यूटी शुरू
वन विभाग के अफसरों ने बताया कि ट्रेंकुलाइजिंग टीम हर रोज शाम 5 बजे से अगली सुबह 8 बजे तक मचान में बैठकर ड्यूटी कर रही है। इसके बाद वे वापस आकर नहाते हैं और फिर भोजन-विश्राम करते हैं।
ट्रेंकुलाइजिंग टीम रोज शाम से सुबह तक मचान से नजर रखी जाती है। ये टीम 5 अप्रैल को ही गुजरात से हल्द्वानी पहुंची है। फिलहाल आदमखोर को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।
केआर आर्या, वन क्षेत्राधिकारी फतेहपुर रेंज
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