
लखनऊ:कांग्रेस 26 जनवरी से हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू करने जा रही है। अभियान के साथ ही कांग्रेस हर जिले में ‘खास वर्गों’ के सम्मेलनों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव से पहले संगठन को विस्तार देने के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है। इन सम्मेलनों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी मुख्य भूमिका में होंगे, जबकि जिला व शहर इकाइयां उनका सहयोग करेंगी।
पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस के लिए काफी खराब रहे थे। प्रदेश की एकमात्र रायबरेली सीट से तब कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ही जीत पाईं। इससे पहले 1977 के आम चुनाव में यूपी में कांग्रेस की इससे ज्यादा खराब स्थिति रही थी, जब यहां से उसका एक भी प्रत्याशी नहीं जीत सका था। खुद इंदिरा गांधी रायबरेली से और संजय गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि संगठन के फैलाव से ही यूपी में पैर जमा सकते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके लिए जिलों में खास वर्गों के सम्मेलनों का आयोजन भी आवश्यक है, ताकि अपना पुख्ता आधार तैयार किया जा सके।
पिछले तीन चुनावों में जिन सीटों पर कांग्रेस पहले या दूसरे स्थान पर रही थी, वहां इस तरह के सम्मेलनों का खास तौर पर आयोजन किया जाएगा। सभी प्रांतीय अध्यक्षों से भी कहा गया है कि वे अपने प्रभार वाले जिलों में संगठन को मजबूत करने के लिए हरसंभव प्रयास करें। लेकिन सजातीय सम्मेलनों के लिए प्रदेश के किसी भी हिस्से में कार्यक्रम तय कर सकते हैं। स्थानीय स्तर पर अंतरविरोध न पैदा हों, इसलिए जिला व शहर अध्यक्षों से इस तरह के सम्मेलनों में मुख्य भूमिका में न रहने के लिए कहा गया है। वे सिर्फ सहयोगी की भूमिका में रहेंगे, ताकि सभी वर्गोें में उनकी स्वीकार्यता बनी रहे।
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