
ख़बर रफ़्तार, देहरादून: प्रदेश में जैसे-जैसे ठंड बढ़ने से नदियों में पानी का बहाव कम हो रहा, वैसे-वैसे ही बिजली उत्पादन भी प्रभावित होना शुरू हो गया है। यूजेवीएनएल का उत्पादन घट गया है, तो केंद्रीय पूल से मिल रही बिजली भी कम हो गई है।
लिहाजा, यूपीसीएल को अब बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है। हालांकि, अभी कहीं भी घोषित कटौती नहीं हो रही है। सामान्य दिनों में यूजेवीएनएल की जल विद्युत परियोजनाओं से यूपीसीएल को रोजाना 1.2 से 1.4 करोड़ यूनिट तक बिजली मिलती है, लेकिन इस महीने में यह आंकड़ा घटकर 80 से 90 लाख यूनिट पर आ गया है।
पांच से सात रुपये यूनिट तक ही खर्च हो रहा
केंद्रीय पूल से भी रोजाना करीब 1.8 करोड़ यूनिट तक बिजली मिलती है, जो घटकर 1.4 करोड़ तक आ गई है, जबकि बिजली की मांग 3.5 से 3.9 करोड़ यूनिट प्रतिदिन जा रही है। ऐसे में यूपीसीएल को बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है।
हालांकि, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि वर्तमान में केंद्रीय ग्रिड से आसानी से और कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। पांच से सात रुपये यूनिट तक ही खर्च हो रहा है। उन्होंने बताया कि फिलहाल कहीं भी कटौती नहीं की जा रही है। भविष्य में भी बिजली के पुख्ता इंतजामात किए जाएंगे।
मांग बढ़ी तो हो सकती है मुश्किल
अभी तक तो हालात नियंत्रण में लग रहे हैं, लेकिन भविष्य में ठंड बढ़ने पर जैसे-जैसे बिजली की मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे ही दुश्वारियां भी बढ़ सकती हैं। कड़ाके की ठंड के दौरान बिजली की मांग पांच करोड़ यूनिट से भी ऊपर पहुंच जाती है। हालांकि, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि उसके लिए भी काशीपुर के गैस आधारित पावर प्लांट के लिए गैस रिजर्व में खरीदी गई है।
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