खबर रफ़्तार,बदायूं:के उसहैत थाना क्षेत्र के रसूलपुर नगला गांव में रविवार को डिब्बा बजाने पर मां के डांटने से नाराज कक्षा चार के छात्र ने फंदे से लटककर जान दे दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने बालक के शव का पोस्टमार्टम करा दिया। नौ वर्षीय सुरजीत पुत्र श्रीपाल प्राथमिक विद्यालय में कक्षा चार का छात्र था। रविवार को स्कूल की छुट्टी थी। श्रीपाल के मुताबिक सुरजीत ने सुबह उठकर घर में झाड़ू लगाई। भैंसों को चारा डाला। नित्य क्रिया से निपटकर चाय नाश्ता किया। वह सुबह करीब साढ़े सात बजे भूसे की कोठरी में बैठा एक खाली डिब्बा बजा रहा था। इसी बात पर मां अनीता ने उसको डांट दिया था। इसके बाद अनीता बर्तन धोने में लग गई। कुछ देर बाद वह भूसे की कोठरी में पहुंची, जहां सुरजीत का शव रस्सी के फंदे से लटका था। बेटे को देखकर उसकी चीख निकल गई। परिवार और आसपास के लोग आ गए। उन्होंने तुरंत बालक के शव को फंदे से उतारा पर तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
श्रीपाल ने बताया कि सुरजीत दो भाइयों में छोटा था। उससे बड़ा 11 वर्षीय बेटा अंकित है। वह कक्षा छह का छात्र है। सूचना पर पुलिस पहुंच गई। दोपहर में उसके शव का पोस्टमार्टम करा दिया। पुलिस के मुताबिक बालक ने फंदे से लटककर जान दी है।
नौ वर्षीय सुरजीत के पिता श्रीपाल ने बताया कि वह घटना के वक्त घर पर नहीं थे। सुरजीत हर काम में तेज था। नौ साल का होने के बावजूद घर के तमाम काम कर लेता था। सुबह उसने पशुओं के नीचे झाड़ू लगाई। उन्हें चारा भी डाला था। जब तक सुरजीत ने चाय नाश्ता किया, तब तक खाना बन गया था। पत्नी बर्तन धोने में लग गई। इसी दौरान उसने फंदे से लटककर जान दे दी। सूचना पर जब वह घर पहुंचे तो शव को उतारा गया। बाद में पता चला कि पत्नी ने किसी बात पर उसे डांट दिया था। इससे उसने नाराज होकर आत्महत्या कर ली। उन्हें नहीं पता था कि इतनी जरा सी बात पर बेटा अपनी जान दे देगा।
चोरी का इल्जाम लगने पर बालक ने फंदे से लटककर की थी आत्महत्या
एक ऐसा ही मामला लॉकडाउन के दौरान हुआ था। जरीफनगर इलाके में एक 11 साल के बालक ने फंदे से लटककर जान दी थी। बताया जा रहा था कि उस पर चोरी का इल्जाम लगा था। परिवार वालों ने उसके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया था। उसका शव बिना पोस्टमार्टम के दफन कर दिया गया था।
उसहैत के गांव रसूलपुर नगला में नौ साल के बालक ने फंदे से लटककर जान दी है। रविवार सुबह उसकी मां ने उसे डांट दिया था। उसके शव का पोस्टमार्टम करा दिया गया है। – डॉ. ओपी सिंह, एसएसपी;
मनोचिकित्सक ने कहा
किसी गलती पर बच्चों को डांटना गलत नहीं है, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की गलती वास्तव में है भी या नहीं। कभी-कभी गलती होने पर भी बच्चे खुद को सही समझते हैं तो कभी माता-पिता भी बच्चों को बेवजह डांटने लगते हैं। ऐसे में अभिभावकों को यह समझना होगा कि बच्चे को डांटने से पहले यह समझ लें कि आखिर पूरी बात क्या है। यदि बच्चा गलती कर भी रहा है तो पहले उसे प्यार से ही समझाना चाहिए। कुछ बच्चे दिल पर बात लगा लेते हैं जिसकी परिणति किसी गंभीर घटना के रूप में सामने आती है।
-डॉ. नरवीर यादव, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, प्रेमलोक अस्पताल
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