उत्तराखंड : जिलाध्यक्षों के नामों पर कांग्रेस दफ्तर में हंगामा, गाली-गलौज और हाथापाई तक आई नौबत

खबरे शेयर करे -

खबर रफ़्तार, देहरादून : उत्तराखंड कांग्रेस में जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों के नामों पर कांग्रेस में कलह शुरू हो गई है। राजेंद्र चौधरी को रुड़की महानगर अध्यक्ष बनाए जाने के विरोध में रुड़की क्षेत्र से कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे और उन्होंने हंगामा काटा। नाराज कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कक्ष में घुस गए और वहां उनकी तीखी नोक-झोंक हुई।

नौबत गाली-गलौज और हाथापाई तक आ गई। इस दौरान गहमागहमी का माहौल बन गया। भीतर से दरवाजा बंद कर दिया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने दो दिन पहले ही एआईसीसी की संस्तुति पर 26 जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की सूची जारी की थी। सूची के जारी होते ही अंदरखाने कुछ जगहों पर विरोध के सुर उठने लगे थे।

शनिवार को रुड़की के कांग्रेस कार्यकर्ता खुलकर विरोध में उतर आए। बताया जा रहा है कि जब नाराज कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के सामने अपनी बात रख रहे थे, उसी दौरान किसी ने कुछ अपशब्द कह दिए। बात आगे नहीं बढ़े, इसलिए भीतर से दरवाजा बंद कर दिया गया। कुछ देर बार कार्यकर्ता बाहर आए और हो-हल्ला करते हुए गाड़ियों में बैठकर निकल गए।

  • इन्होंने किया विरोध

रुड़की क्षेत्र से ब्लाक अध्यक्ष बिट्टू शर्मा, हेमेंद्र चौधरी, आदित्य राणा, विनय शर्मा ने विरोध दर्ज किया। बिट्टू शर्मा ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। आदित्य राणा ने कहा कि रुड़की महानगर अध्यक्ष एक ऐसे व्यक्ति को बना दिया गया है, जिसका रुड़की महानगर कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है।

  • ब्लाक अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ने का एलान किया

ब्लाक अध्यक्ष बिट्टू शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट डालकर पार्टी छोड़ने का एलान किया है। बताया जा रहा है कि वह रुड़की क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे यशपाल राणा को अपशब्द कहे जाने से नाराज हैं।

रुड़की के कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता आए थे। उनमें से एक कार्यकर्ता ने सीमा रेखा से बाहर जाकर तल्खी से बात की। गहमागहमी और नोकझोक भी हुई। लेकिन जब परिवार बड़ा होता है, तो इस तरह की नोकझोंक होती रहती हैं। कांग्रेस में लोकतंत्र है, सबको अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन मान मर्यादा और पद प्रतिष्ठा का ख्याल रखा जाना चाहिए।

जब भी पदाधिकारियों की सूची जारी होती है, कुछ लोग नाराज होते हैं, कुछ विरोध भी दर्ज कराते हैं। गाली गलौज तो किसी ने नहीं की, लेकिन कुछ लोगों की जोर से बोलने की प्रवृत्ति होती है। छह लोग आए थे, उन्होंने अपनी बात रखी, मैंने उन्हें समझाया। पांच शांत होकर चले गए, एक व्यक्ति विशेष ज्यादा बोल रहा था, उनकी भी बात सुनी गई। बाकी ये परिवार की बात है, हम लोग आपस में निपटा लेंगे। 

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours