ख़बर रफ़्तार, श्रीनगर गढ़वाल : पहाड़ी परिधान फैशन शो प्रतियोगिता में सभी ने एकता, लोकसंस्कृति और पहाड़ी पहचान के संरक्षण का संदेश दिया, जिससे पूरा परिसर रंग-बिरंगे परिधानों और उल्लास से सराबोर हो गया।
इसे पहनना सिर्फ एक परिधान धारण करना नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व और अपनी जड़ों को सम्मान देना है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन हमारे लोकसंस्कृति और पारंपरिक पहनावे के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिलाधिकारी ने लोगों से आह्वान किया कि पर्वों, शादियों और विशेष अवसरों पर पारंपरिक गढ़वाली, कुमाऊंनी या पहाड़ी वेशभूषा अवश्य धारण करें, क्योंकि यही हमारी पहचान और एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मेलों का असली उद्देश्य उत्साह, सहभागिता और सांस्कृतिक जुड़ाव है।
हमें केवल वेशभूषा ही नहीं, बल्कि अपनी पहाड़ी रसोई, लोकभाषा, लोकनृत्य और लोकगायन से भी जुड़ना चाहिए। जिलाधिकारी ने सभी प्रतिभागियों की सृजनशीलता और सांस्कृतिक समर्पण की सराहना की।
पति संग मेयर ने भी किया लोकनृत्य
मेयर आरती भंडारी ने भी बैकुंठ चतुदर्शी मेले में पहली बार आयोजित पहाड़ी परिधान प्रतियोगिता के दौरान रैंप पर अपने पति लखपत भंडारी के साथ ठुमके लगाए। दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं। इस दौरान उन्होंने लोगों से अपनी जड़ों से जुड़े रहने का आह्वान किया।

स्थानीय संस्कृति, परंपरा और अपनी मिट्टी की महक को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से आयोजित मि उत्तराखंडी छौं पहाड़ी परिधान फैशन शो प्रतियोगिता गोला बाजार में आकर्षण का केंद्र रही। प्रतियोगिता का उद्घाटन मुख्य अतिथि जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने किया। उन्होंने पहाड़ी परिधान धारण इस आयोजन को और भी आकर्षक बना दिया। जिलाधिकारी ने गढ़वाली में कहा कि सुण दीदी सुण भुली, मैं त अपणी संस्कृति बचौंण चली।