आस्था और टेक्नोलॉजी का संगम: झारखंड का पूजा पंडाल बना डिजिटल शिक्षा का मंच

खबर रफ़्तार, रांची: पंडाल में न सिर्फ नुकसान, बल्कि तकनीक की उपलब्धियों का भी चित्रण किया गया है। यहां यह दर्शाया गया है कि कंप्यूटर और मोबाइल का आविष्कार क्यों और कैसे हुआ तथा इसे किसने विकसित किया।

राजधानी रांची में इस बार दुर्गा पूजा के अवसर पर कई पूजा पंडाल श्रद्धालुओं के लिए आस्था के साथ-साथ ज्ञान का भी केंद्र बन रहे हैं। राजस्थान मित्र मंडल द्वारा तैयार किया गया पूजा पंडाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस पंडाल में धार्मिक माहौल के साथ-साथ समाज और नई पीढ़ी को जागरूक करने का अनोखा संदेश दिया गया है।

पंडाल के भीतर आकर्षक चित्रों और झांकियों के माध्यम से यह बताया गया है कि आधुनिक दौर में कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन का लंबे समय तक इस्तेमाल हमारे जीवन पर क्या असर डाल सकता है। जहां एक ओर यह तकनीकें पढ़ाई, रोजगार और संचार का सशक्त साधन बनी हैं, वहीं दूसरी ओर इनके अत्यधिक उपयोग से आंखों, दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खासकर बच्चों और युवाओं के जीवनशैली पर इसका गहरा असर देखा जा रहा है।
पंडाल में न सिर्फ नुकसान, बल्कि तकनीक की उपलब्धियों का भी चित्रण किया गया है। यहां यह दर्शाया गया है कि कंप्यूटर और मोबाइल का आविष्कार क्यों और कैसे हुआ तथा इसे किसने विकसित किया। इसके साथ ही पारंपरिक शिक्षा पद्धति जैसे गिनती और पहाड़े को भी प्रदर्शित किया गया है, ताकि नई पीढ़ी यह समझ सके कि शिक्षा की बुनियाद कहाँ से शुरू होती है।

पंडाल देखने आए छात्र आकाश और अंजुमन ने कहा कि उन्हें यहां से काफी ज्ञान मिला और यह अनुभव बिल्कुल अलग रहा। पूजा समिति के सदस्यों ने भी बताया कि उनका उद्देश्य केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज को नई दिशा और बच्चों को जागरूक करना भी है। इस पंडाल को देखने अब तक करीब 30 लाख लोग पहुंच चुके हैं और अभी दो दिन शेष रहने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना है। निस्संदेह, यह पंडाल आस्था के साथ-साथ ज्ञान की रोशनी भी बिखेर रहा है।

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