Politics: शिवसेना (UBT) का हमला, राष्ट्रपति चुनाव से गैरहाज़िर दलों की मान्यता हो रद्द

खबर रफ़्तार, मुंबई: शिवसेना (उद्धव) ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान को अनिवार्य बनाने की मांग की है। पार्टी ने बीआरएस और बीजद जैसे दलों पर घोड़ाबाजार और दबाव में चुनाव से दूर रहने का आरोप लगाया। ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया कि ऐसे दलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए। पार्टी ने नए उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन से कानून बनाने की अपील की।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शुक्रवार को एक कड़ी मांग उठाते हुए कहा कि देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान सभी दलों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। पार्टी ने चेतावनी दी कि जो राजनीतिक दल बार-बार ‘घोड़ाबाजार’ में शामिल होते हैं या चुनाव में अनुपस्थित रहते हैं, उनकी मान्यता रद्द होनी चाहिए।

शिवसेना (उद्धव) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि बीआरएस और बीजद जैसे दल केंद्रीय जांच एजेंसियों से डरकर उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहे। पार्टी ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि ऐसे बर्ताव से लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का नतीजा
नौ सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के बी सुधर्शन रेड्डी को 152 मतों से हराया। चुनाव में कुल 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जिनमें 752 वोट वैध और 15 अमान्य पाए गए। राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 मत मिले।
अकाली दल का बहिष्कार
शिरोमणि अकाली दल ने इस चुनाव का बहिष्कार किया। उसने आरोप लगाया कि पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों को न राज्य सरकार से मदद मिली, न केंद्र से और न ही कांग्रेस से। इसी वजह से वे मतदान से दूर रहे।

नई मांगें और सवाल
शिवसेना (उद्धव) ने कहा कि नए उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन को तुरंत कानून बनाना चाहिए, जिससे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के चुनाव में घोड़ाबाजार पर रोक लगाई जा सके। पार्टी ने सवाल उठाया कि जब भाजपा के सहयोगी दल भी ‘घोड़ाबाजार’ की शिकायत करते हैं, तो चुनाव आयोग क्या कर रहा है।

विपक्षी दलों की भूमिका
संपादकीय में दावा किया गया कि विपक्षी इंडिया गठबंधन के केवल दो से पांच सांसदों ने ही कथित तौर पर धोखा किया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि क्रॉस-वोट करने वाले सांसदों के लिए विदेश यात्राओं की व्यवस्था की गई। इस तरह शिवसेना (उद्धव) ने साफ किया कि वह संवैधानिक पदों के चुनाव में पारदर्शिता और मजबूती की पक्षधर है।

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