खबर रफ़्तार, काठमांडू: नेपाल ने साल 2008 में राजशाही खत्म हो गई थी। हालांकि इस साल फिर से राजशाही लागू करने की मांग को लेकर नेपाल में विरोध प्रदर्शन हुए। साथ ही पूर्व राजा ज्ञानेंद्र सिंह की सक्रियता भी काफी बढ़ गई है। अब जब नेपाल में कोई सरकार नहीं है और पूरी कमान सेना के हाथ में है तो ऐसे में चर्चा है कि नेपाल में फिर से राजशाही बहाल हो सकती है।
नेपाल के एक नागरिक समाज संगठन ने आरोप लगाया है कि नेपाल में सैन्य मध्यस्थता के बहाने राजशाही बहाल करने की साजिश रची जा रही है। नेपाल में विरोध प्रदर्शन और के.पी. शर्मा ओली सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार के गठन को लेकर बातचीत जारी है। विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले सामाजिक संगठन बृहत नागरिक आंदोलन (बीएनए) ने गुरुवार को एक बयान में नेपाली सेना की राष्ट्रीय मामलों में बढ़ती भूमिका पर चिंता व्यक्त की।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नेपाल में कार्यवाहक सरकार का प्रमुख नियुक्त किया जा सकता है। उन पर आंदोलनकारी समूह की मांगों को पूरा करते हुए नए चुनाव कराने की जिम्मेदारी होगी। सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले जेनरेशन-जेड समूह के प्रतिनिधियों, सेना प्रमुख और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल सहित कई हितधारकों के बीच गुरुवार आधी रात तक चली बातचीत बेनतीजा रही। हालांकि, कई सूत्रों ने बताया कि युवाओं के नेतृत्व वाले जेन-जेड समूह ने नए प्रधानमंत्री पद के लिए कार्की के नाम का प्रस्ताव रखा। राष्ट्रपति पौडेल शुक्रवार सुबह कार्की को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं।नेपाल में सरकार ने बीते दिनों सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का यह कदम आत्मघाती साबित हुआ और सोमवार को बड़ी संख्या में युवा प्रदर्शनारी सड़कों पर उतर आए और संसद भवन में घुस गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग की, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद सरकार बैकफुट पर आ गई और आपात बैठक बुलाकर सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा दिया। हालांकि प्रदर्शनकारियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और मंगलवार को फिर से नेपाल में हिंसा भड़क गई। हिंसा आगजनी के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि पीएम के इस्तीफे के बाद भी लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और इस दौरान कई राजनेताओं के साथ मारपीट की गई और उनके कार्यालयों और घरों में आग लगा दी गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सोमवार और मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान अब तक मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है।
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