Haryana: PGI में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग शुरू – कैंसर इलाज को मिलेगी नई रफ्तार

खबर रफ़्तार, रोहतक : कैंसर मरीजों को न्यूक्लियर थेरेपी के जरिए बेहतर उपचार मिलेगा। इसके लिए रोहतक पीजीआई में प्रदेश का पहला न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग शुरू किया जा रहा है।

कैंसर मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। ऐसे मरीजों को न्यूक्लियर थेरेपी के जरिए बेहतर उपचार मिलेगा। इसके लिए पीजीआई रोहतक में प्रदेश का पहला न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग शुरू किया जा रहा है। यहां सभी तरह के कैंसर का इलाज करने में सहयोगी उपकरणों का इंतजार है। संस्थान ने डीएमईआर (डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) को उपकरणों के लिए प्रपोजल भेज दिया है।

पीजीआई में कैंसर मरीजों को जल्द ही बेहतर व सटीक इलाज मुहैया होगा। इसके लिए न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग तैयार किया गया है। इसमें सभी तरह के कैंसर की जांच संभव होगी। यह जांच भी बेहद सटीक की जाएगी। इससे कैंसर प्रभावित क्षेत्र व उसकी स्थिति का सही पता लग सकेगा। इससे बीमारी की मात्रा के अनुसार ही दवा दी जा सकेगी। इसके लिए यहां स्पैक्ट सीटी, पैट सीटी व गामा कैमरा लगाया जाएगा।

न्यूक्लियर थेरेपी विभाग में मिलेगी तीन तरह की थेरेपी

पीजीआई के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में कैंसर मरीजों को मुख्यत: तीन तरह की थेरेपी मिलेगी। इसमें पहली आयोडीनथॉयरॉयड कैंसर, दूसरी लुटिशियम डोटाटेट थेरेपी व तीसरी लूटेशियम पीएसएमए थेरेपी शामिल है।

पहली थेरेपी : थॉयरॉड कैंसर मरीजों को सर्जरी के बाद इस थेरेपी के तहत इलाज दिया जाता है। इसमें शेष बीमारी का थेरेपी से दवा देकर इलाज आसान है।

दूसरी थेरेपी : न्यूरो एंडो क्राइन ट्यूमर को इस थेरेपी के जरिए ठीक किया जा सकता है। इसमें मॉलिक्यूल रेडियोएक्टिव के जरिए इलाज दिया जाता है।

तीसरी थेरेपी : पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर का इलाज इस थेरेपी से किया जाता है। इसमें तीन से चार साइकल मरीज को दी जाती है।

वॉर्ड में रखे जाएंगे पांच मरीज

विभाग में थेरेपी वाले मरीजों को रखने के लिए पांच वॉर्ड बनाए गए हैं। इनमें पांच ही मरीज रखे जाएंगे। इसकी वजह रेडियोएक्टिव किरणें हैं। थेरेपी देने के बाद मरीज को रेडियोएक्टिव का असर नियमानुसार कम होने तक मरीज को रखा जाएगा। न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी डॉ. रोहित को दी गई है। इनमें पास मां वैष्णो देवी धाम के पास सबसे ऊंची जगह न्यूक्लियर थेरेपी के लिए विभाग शुरू करने के अलावा हिमाचल में भी यह विभाग चलाने का अनुभव है। इससे मरीजों को राहत मिलेगी।

एईआरबी से ली गई है मंजूरी

न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग शुरू करने के लिए नियमानुसार एटॉमिक एनर्जी रेगुलेशन बोर्ड (एईआरबी) से स्वीकृति ली गई है। बोर्ड के निर्देशों के तहत ही यह भवन बनाया गया है। इसमें रेडियो एक्टिव पदार्थ रखने के लिए विशेष बंकर बनाया गया है। इसमें किसी के भी प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। मरीज के लिए अलग व्यवस्था बनाई गई है। यहां से मरीज को उसके शरीर से रेडियोएक्टिव का असर कम होने पर ही छुट्टी दी जाएगी। मरीज के मल का भी बोर्ड के नियमों के अनुसार निष्पादन किया जाएगा।

संस्थान में कैंसर रोगियों को बेहतर इलाज दिया जा रहा है। अब नई तकनीक से उन्नत व सटीक इलाज भी उपलब्ध होगा। इसके लिए न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग बनाया गया है। इसके लिए जरूरी उपकरणों की मांग की गई है। उपकरण आते ही इलाज शुरू कर दिया जाएगा। 

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