ख़बर रफ़्तार, देहरादूनः दिल्ली के बुराड़ी में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर स्वरूप को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों और शंकराचार्य के विरोध के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए गोदियाल ने दिल्ली में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक स्वरूप के शिलान्यास का विरोध किया. गोदियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के उस बयान का भी विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर के स्वरूप को लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इसके लिए जनता से माफी मांगेंगे तो बेहतर रहेगा.
गोदियाल ने कहा कि, दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने शिरकत की, आखिर इसका आशय क्या है? गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई थी और उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होकर गौरव पाने की कोशिश की. लेकिन वास्तव में मुख्यमंत्री ही जनता को गुमराह करने में लगे हुए हैं.
ऐसे में मुख्यमंत्री ने भले ही जाने अनजाने में यह भूल की होगी, लेकिन मुख्यमंत्री को बड़प्पन दिखाते हुए वह अपने पद का उपयोग करके दिल्ली में बनाए जा रहे मंदिर का नाम बदलते. गोदियाल ने कहा कि केदारनाथ मंदिर से शीला ले जाकर दिल्ली में फाउंडेशन स्टोन रखा गया जो कि हमारे धर्म, आध्यात्मिक मान्यताओं को व्यवसायिक मार्ग पर ले जाने का प्रयास है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी इस मसले पर सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने उत्तराखंड केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत का मामला उठाते हुए कहा कि 228 किलो सोना चोरी हो गया. वह सोना कहां गया? पता नहीं चला. उसके बावजूद मुख्यमंत्री शिला लेकर दिल्ली कैसे चले गए. ऐसे में क्या पुरातत्व विभाग मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि पूरे देश में केवल चार धाम है. पांचवा धाम नहीं हो सकता है. लेकिन भाजपा सरकार धाम को व्यापार का केंद्र बना रही है.
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