
ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों की आग निरंतर विकराल रूप ले रही है. वनों में लगी आग की वजह से कुमाऊं और गढ़वाल में वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है. राज्य के जंगलों में लगी आग पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने अपनी चिंता जाहिर की है. यशपाल आर्य ने कहा है कि आग लगने के कारण वनों को नुकसान होने के साथ ही जीव जंतुओं और पर्यावरण पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है.
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि आग की वजह से जल स्रोत सूख रहे हैं, प्रदेश के धधकते जंगलों की आग की आंच का असर ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है. जिससे पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है. यशपाल आर्य का कहना है कि जल जंगल जमीन हमारी धरोहर हैं. लेकिन हर साल जंगलों में आग लगने की वजह से करोड़ों रुपए की हानि हो रही है. उन्होंने इसे आने वाले भविष्य के लिए गंभीर चुनौती बताया है. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश के जंगल, जल स्रोत, ग्लेशियर नहीं बचेंगे तो फिर पहाड़ का अस्तित्व भी नहीं बचेगा.
यशपाल आर्य का कहना है कि वह कोई सरकार पर आरोप नहीं लगा रहे हैं, बल्कि सच्चाई बयां कर रहे हैं और चेतावनी की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पर्वतीय जिलों की जमीन धंस रही है और जंगल धधक रहे हैं, लेकिन सरकार के पास इसको रोकने की कोई ठोस कार्य योजना नहीं है. यहां तक की वन महकमे में वन कर्मियों का अभाव बना हुआ है और इस दिशा में सरकार भी गंभीर दिखाई नहीं दे रही है. भाजपा सरकार जंगलों के प्रति गंभीर होने की बजाय चुनाव प्रचार और चुनावी राजनीति तक सिमट गई है. उनका मानना है कि राज्य के जंगलों में लगी आग की वजह से चिंताजनक स्थिति उत्पन्न होने जा रही है.
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