ख़बर रफ़्तार, हल्द्वानी: पंचांगों की भिन्नता और मान्यताओं के कारण होली पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति है। प्रतिपदा के कारण पर्वतीय और मैदानों क्षेत्रों में अलग-अलग दिन छलड़ी मनाई जा रही है। यही वजह है कि रविवार (आज) को सभी स्थानों पर रात्रि 11 बजे बाद एक साथ होलिका दहन किया जाएगा।
वहीं, हल्द्वानी सहित मैदानी इलाकों में अधिकांश लोग 25 मार्च सोमवार को होली मनाएंगे। जबकि पर्वतीय समाज के लगभग सभी लोगों ने ज्योतिषाचार्यों के परामर्श के अनुसार 26 मार्च मंगलवार को होली खेलना तय किया है।
हल्द्वानी निवासी ज्योतिषाचार्य पुष्कर दत्त शास्त्री ने बताया कि कैलेंडर के अनुसार 25 मार्च को पूरे देश में होली मनाई जा रही है। ऐसे में त्योहारों को लेकर एकरूपता होना जरूरी है। इसी को देखते हुए हल्द्वानी में सोमवार को होली खेलने का निर्णय हुआ है। हालांकि, पर्वतीय क्षेत्रों में मंगलवार को छलड़ी मनाई जा रही है।
प्रतिपदा में नहीं हो सकती छलड़ी
इधर, ज्योतिषाचार्य डा. देवेंद्र प्रसाद हर्बोला का कहना है कि रविवार को सुबह नौ बजे से रात 11 बजे तक भद्रा रहेगी। ऐसे में आज रात्रि 11 बजे बाद होलिका दहन किया जा सकता है। जबकि रविवार रात से सोमवार को दोपहर 1:30 बजे तक प्रतिपदा रहेगी।
शास्त्रों के अनुसार छलड़ी प्रतिपदा में नहीं हो सकती है और दोपहर बाद पितृ संबंधित कार्य किए जाते हैं। वहीं छलड़ी उदयव्यापनी तिथि के अनुसार होती। ऐसे में 26 मार्च को सुबह से ही होली खेली जा सकती है।
डा. हर्बोला का कहना है कि कुमाऊं भर के लगभग सभी ज्योतिषों के साथ चर्चा और शास्त्रों के अध्ययन के बाद ही यह निर्णय लिया गया है। इधर, ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी और डा. हरीश चंद्र बिष्ट ने भी शास्त्रों के अध्ययन और पंचांग के अनुसार 26 मार्च को होली खेलने के निर्णय को ठीक बताया है।
+ There are no comments
Add yours