सांसद परनीत कौर आज भाजपा में होंगी शामिल, शाही सीट पटियाला में खत्म हो सकता BJP का वनवास

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ख़बर रफ़्तार, चंडीगढ़:  कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनकी बेटी जय इंदर कौर के बाद पंजाब की ‘शाही सीट’ पटियाला से चार बार कांग्रेस की सांसद रहीं उनकी पत्नी परनीत कौर गुरुवार को भाजपा में शामिल हो जाएंगी। परनीत कौर पिछले 25 वर्षों से पटियाला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ती आ रही हैं। वह इस सीट से भाजपा उम्मीदवार हो सकती हैं। गत 30 वर्षों में पटियाला सीट के राजनीतिक इतिहास में पहला मौका होगा, जब भाजपा का कोई उम्मीदवार इस सीट से चुनाव लड़ेगा।

दो बार के पंजाब के मुख्यमंत्री व पूर्व कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने सांसद परनीत कौर को तीन फरवरी 2023 को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बाद भी परनीत पति कैप्टन अमरिंदर के कार्यक्रमों में शामिल होती रहीं और तब से ही यह तस्वीर स्पष्ट हो गई थी कि लोकसभा चुनाव के करीब आकर परनीत कौर भाजपा में शामिल हो जाएंगी।
कल अमरिंदर सिंह ने नड्डा से की थी मुलाकात

दो दिन पहले गत मंगलवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही यह कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में परनीत कौर ही पटियाला से उम्मीदवार हो सकती हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन हो जाने के बाद भी पटियाला सीट भाजपा के खाते में जाएगी। परनीत कौर की उम्र 79 वर्ष है, लेकिन उनके लिए भाजपा 75 से अधिक उम्र के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारने की अपनी नीति में भी ढील दे सकती है।

बता दें कि कांग्रेस छोड़ने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) का गठन कर भाजपा के साथ गठबंधन किया था। 2022 के विधानसभा में इस सीट से पीएलसी के उम्मीदवार के तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने पीएलसी का भाजपा में विलय कर लिया था।

परनीत कौर पटियाला में लहरा सकती पहली बार बीजेपी का झंडा

अब भाजपा अगर परनीत कौर को टिकट देती है तो यह तय है कि पटियाला सीट पर पहली बार भगवा झंडा फहराएगा। पहले गठबंधन के दौरान इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल ही चुनाव लड़ता था। परनीत कौर कांग्रेस से 1999, 2004 व 2009 का लोकसभा चुनाव लगातार जीती थीं। 2014 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार धर्मवीर गांधी से वह चुनाव हार गईं, लेकिन 2019 में उन्होंने पुनः जीत हासिल की थी।

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