चिकित्सा प्रमाण पत्र न होने पर नहीं निरस्त नहीं कर सकते ट्रांसफर, बीएसए का आदेश किया रद्द

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ख़बर रफ़्तार, प्रयागराज:  पति के गंभीर न्यूरो रोग से पीड़ित होने के आधार पर सीतापुर से उन्नाव स्थानान्तरित हुई सहायक अध्यापिका को ज्वाइन न कराने के बेसिक शिक्षा अधिकारी उन्नाव और सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद के आदेश को रद्द करने के हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा आदेश के विरुद्ध सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा दाखिल विशेष अपील को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की।

सहायक अध्यापिका लक्ष्मी शुक्ला के अधिवक्तागण रजत ऐरन और ऋषि श्रीवास्तव द्वारा जस्टिस ए.आर.मसूदी एवम जस्टिस ब्रज राज सिंह की खंडपीठ के समक्ष सरकार की अपील का विरोध करते हुए बहस की गई कि अध्यापिका द्वारा किसी आम या निजी मेडिकल संस्थान नही अपितु पीजीआई. लखनऊ और चंडीगढ़ जैसे राष्ट्रीय स्तर के नामचीन मेडिकल शोध संस्थान के उपचार पर्चे अपने स्थानांतरण के लिए जमा किए थे। विभाग द्वारा फर्जी या कूटरचित मेडिकल दस्तावेज जमा करने का कोई आधार नहीं लिया गया है।

अपने पति के असाध्य बीमारी से पीड़ित होने के कारण याची दो जून 2023 के शासनादेश के तहत सीतापुर से उन्नाव अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था, जिसको स्वीकार करते हुए याची को उन्नाव में ज्वाइन भी करवा दिया गया था। बीएसए उन्नाव और सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद ने लगभग तीन सप्ताह कार्य लेने के पश्चात याची का स्थानांतरण इस आधार पर निरस्त कर दिया कि याची के पति के पीजीआई लखनऊ एवम चंडीगढ़ द्वारा जारी उपचार पर्चे चिकित्सा प्रमाण पत्र नही माने जा सकते। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने विभाग की यह कार्यवाही को रद्द करते हुए समस्त बकाए वेतन सहित ज्वाइन कराने का आदेश दिया था।

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